अमरीकी नियामक फेड ट्रेड कमीशन (FTC) इस मामले की जांच कर रहा है जिसमें कैम्ब्रिज एनालिटिका पर गलत तरीके से फेसबुक के 8.7 करोड़ अमरीकी यूजर्स का डेटा हासिल करने का आरोप लगा है। एफटीसी यानि संघीय व्यापार आयोग ने यह फैसला 3-2 के बहुमत से लिया है। एफटीसी ने अपनी जांच में पाया कि साल 2012 में बेहतर यूजर प्राइवेसी के लिए कदम उठाने पर सहमत होने के बाद भी फेसबुक ने इस समझौते का उल्लंघन किया है।
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जुर्माने से फेसबुक पर नहीं पड़ेगा कुछ खास असर
फेसबुक पर लगे 34 हजार करोड़ रुपये के इस जुर्माने को किसी भी टेक कंपनी पर लगने वाला अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना बताया जा रहा है। इस शाल के शुरुआत में भी फेसबुक ने जुर्माने का अनुमान लगाते हुए कहा था कि यह 5 अरब डॉलर के करीब हो सकता है। हालांकि, साल 2018 में फेसबुक के कुल रेवेन्यू की तुलना में यह रकम मात्र 9 फीसदी ही है। इसीलिए, यह भी कहा जा रहा है कि इस जुर्माने से फेसबुक पर कुछ खास असर नहीं पडऩे वाला है। साल 2019 की पहली तिमाही में ही फेसबुक का कुल रेवेन्यू करीब 15 अरब डॉलर रहा था।
गौरतलब है कि एफटीसी ने इस मामले की जांच मार्च 2018 में शुरू किया था जब कुछ रिपोट्र्स सामने आये थे जिसमें बताया गया था कि कैम्ब्रिज एनालिटिका ने करोड़ों फेसबुक यूजर्स को डेटा हासिल किया था। इस जांच के दौरान सबसे अधिक फोकस इस बात पर किया गया था कि क्या फेसबुक 2011 के उस समझौता का उल्लंघन तो नहीं किया है जिसमें यूजर्स का निजी डेटा इस्तेमाल करने से पहले उनकी सहमति लेना अनिवार्य है।
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क्या है पूरा मामला
कैम्ब्रिज एनालिटिका एक ब्रिटिश राजनीतिक कंसल्टिंग कंपनी है, जिसपर आरोप है कि उसने फेसबुक से करोड़ों यूजर्स का डेटा हासिल करने के बाद इसका इस्तेमाल अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्ंप के इलेक्शन कैंपेन के लिए किया है। इस कंपनी पर आरोप है कि डेटा का इस्तेमाल वोटर्स के मतों को प्रभावित करने के लिए किया गया था। एक क्विज के माध्यम से यह कंपनी हिस्सा लेने वाले यूजर्स के साथ-साथ उनसे जुड़े दोस्तों का डेटा भी आसानी से हासिल कर लेती थी। इस मामले के सामने आने और जांच शुरू होने पर फेसबुक ने भी माना था कि 8.7 करोड़ यूजर्स का डेटा कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ गलत तरीके से साझा किया गया था।
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