पीएम मोदी ने 2014 में किया था पडरौना में वादा लोकसभा चुनाव 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पडरौना में चुनावी सभा करते हुए सरकार बनने के बाद पडरौना चीनी मिल को चलवाने का वादा किया था। उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन सांसद व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह पर कटाक्ष करते हुए किसानों से मिल नहीं चलवाने के लिए कांग्रेस सरकार को जमकर कोसा भी था। दस साल तक कांग्रेस की सरकार में चीनी मिल नहीं चलने से परेशान किसानों ने एक बार पीएम मोदी पर विश्वास किया। पडरौना चीनी मिल चलने की उम्मीद में वोटों की बारिश कर दी। कुशीनगर लोकसभा सीट भाजपा के खाते में गई। लोग उम्मीद लगाए रहे कि अब मिल चलने का ऐलान होगा लेकिन उम्मीद पूरे पांच साल तक चीनी मिल चलने की कवायद का इंतजार ही रहा। हालांकि, किसान पांच साल तक उम्मीद लगाए रहे क्योंकि पीएम ने गोरखपुर में फर्टिलाइजर को चलवाने का वादा साल भर में ही पूरा कर दिया था। साल बीतते गए। विधानसभा चुनाव भी आया। बीजेपी की प्रदेश में भी सरकार बनी। पडरौना चीनी मिल चलवाने का उम्मीद कायम रहा। लेकिन पिपराइच और मुंडेरवा चीनी मिल को सरकार ने चलवाने की जोरदार कवायद की परंतु पडरौना की ओर पलट कर भी नहीं देखा गया। पांच साल बीत चुके हैं। फिर चुनाव में सभी आ चुके हैं और पडरौना चीनी मिल जस की तस है। किसान की मनःस्थिति तो इससे समझा ही जा सकता है।
गोरखपुर क्षेत्र में 28 चीनी मिलों में 17 हो चुकी हैं बंद यूपी में सबसे अधिक चीनी उत्पादक क्षेत्र गोरखपुर-बस्ती परिक्षेत्र में कभी 28 चीनी मिलें हुआ करती थी। लेकिन पिछले कुछ दशकों में अगर कुशीनगर में एक निजी चीनी मिल ढाढा चीनी मिल को छोड़ दें तो कोई भी सरकार एक नई चीनी मिल नहीं लगवा सकी है। हालांकि, विभिन्न सियासी पार्टियों के अलग-अलग राज में एक के बाद एक 17 चीनी मिल्स पर ताला लग चुके हैं। कुछ खस्ता हाल में फिलहाल चालू हैं। यह बात दीगर है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने क्षेत्र की दो बंद चीनी मिलों को चलवाने की प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंचाने में सफल रहे हैं। आने वाले गन्ना सत्र में गन्ना पेराई भी हो सकेगा। हालांकि, इस समय सिर्फ 11 मिलें चल रही हैं। गोरखपुर जिले की बात करें तो यहां सरदारनगर, धुरियापार व पिपराइच चीनी मिलें थीं जो अब बंद हो चुकी हैं। बीते दिनों बंद पिपराइच चीनी मिल का उद्घाटन कर दिया गया है।
देवरिया की पांच मिलों में चार गौरीबाजार, बेतालपुर, देवरिया व भटनी मिलों पर ताला लग चुका है। सिर्फ एक प्रतापपुर मिल संचालित है।
कुशीनगर जिले में 10 चीनी मिलें हुआ करती थीं। इनमें पांच मिलें रामकोला, खड्डा, सेवरही, कप्तानगंज व ढाढा बुजुर्ग चल रही हैं जबकि छितौनी, लक्ष्मीगंज, पडरौना, कठकुइयां व रामकोला खेतान पर ताला लग चुका है। महराजगंज की चार मिलों में से सिसवा व गड़ौरा चल रही हैं जबकि फरेंदा व घुघली बंद हो चुकी हैं। बस्ती की बात करें तो यहां पांच में से तीन बभनान, वाल्टरगंज व रुधौली मिलें चल रही हैं जबकि बस्ती की मिल बंद है। मुंडरेवा को चलाने का उपाय हो रहा। संतकबीरनगर की एक मात्र मिल बंद हो चुकी है। सिद्धार्थनगर में कोई चीनी मिल नहीं।