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देशभर के विश्वविद्यालयों को ओपन और डिस्टेंस मोड (ओडीएल) में पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए यूजीसी के डिस्टेंस एज्युकेशन ब्यूरो (ड़ेब) से हर शैक्षणिक सत्र में अनुमति लेनी होती है। इसके लिए विवि बाकायदा एक शपथ पत्र देते हैं कि वह जिस विषय की पढ़ाई कराने के लिए छात्रों को दाखिला दे रहे हैं, उस विषय में उनके मुख्यालय पर पूर्ण कालिक शिक्षक नियुक्त हैं। डेब के नियमानुसार जिस विषय का शिक्षक सेवानिवृत्त हो जाता है या नौकरी छोड़कर चला जाता है, उस विषय में भी छात्रों को नए शैक्षणिक सत्र से दाखिला नहीं दिया जा सकता।साल दर साल गर्म हो रहा दिसम्बर, जानिए हाड़ौती में मौसम की दस साल की रिपोर्ट
यहां तो पद ही नहीं
वीएमओयू ने मनोविज्ञान और पुलिस स्टडीज विषय के शिक्षक के लिए तो अभी तक पद ही सृजित नहीं किया। बावजूद इसके दोनों विषयों के दर्जनभर पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। बाकी 6 विषयों में पद होने के बावजूद शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही। इसके चलते इन विषयों में जनवरी 2018 सत्र से दाखिले नहीं हो सकेंगे।
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वीएमओयू के कुलपति प्रो. अशोक शर्मा का कहना है की जिन विषयों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं, उन्हें भरने की प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जाएगी। जिन विषयों में पद सृजित नहीं हैं, उनके लिए यूजीसी के नियमानुसार राज्य सरकार से पद सृजित करने की मांग करेंगे। कोशिश कर रहे हैं कि संचालित पाठ्यक्रम बंद न हों।
डेब को दिया धोखा
वीएमओयू ने 24 विषयों के शिक्षकों की मुख्यालय स्तर पर नियुक्ति का दावा कर 116 स्टडी प्रोग्राम संचालित करने की डेब से अनुमति मांगी, जबकि समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, विधि, रसायन विज्ञान, गृह विज्ञान, उर्दू, इतिहास, राजस्थानी भाषा और पुलिस स्टडीज विषय का एक भी शिक्षक वीएमओयू के कोटा मुख्यालय में नियुक्त नहीं है। डेब ने भौतिक सत्यापन कराए बिना विवि के शपथ पत्र के आधार पर इन शिक्षक विहीन विषयों में 30 से ज्यादा स्नातक, स्नातकोत्तर, पीजी डिप्लोमा, डिप्लोमा और सॢटफिकेट प्रोग्राम चलाने की अनुमति दे दी