झालावाड़ जिले के सुनेल थाना क्षेत्र के सांगरिया गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शुक्रवार को एसयूपीडब्ल्यू शिविर में सफाई के करने के दौरान सांप के काटने से कक्षा 12वीं की छात्रा बेबी कंवर (18) की मौत के दूसरे दिन शनिवार सुबह ग्रामीणों ने सांगरिया-गैलानी मार्ग पर जाम लगा दिया। शव पोस्टमार्टम के बाद दोपहर 1 बजे पहुंचा। इसके बाद स्कूल के मुख्य द्वार पर शव रखकर ग्रामीण नारेबाजी कर धरने पर बैठ गए।
प्रदर्शनकारियों ने कार्यवाहक प्रधानाचार्य शिवराज मीणा से पूछा कि आपने स्कूल के बच्चों से यह कहा था कि सफाई नहीं करोगे तो सत्रांक के 20 नंबर बोर्ड परीक्षा में नहीं भेजे जाएंगे। प्रधानाचार्य ने जैसे ही अपनी गलती स्वीकार की तो ग्रामीणों ने उनसे मारपीट शुरू कर दी। जाम की सूचना मिलने पर तहसीलदार अज़हर बेग, थानाधिकारी विष्णु सिंह जाप्ते के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने बीचबचाव करते हुए प्रधानाचार्य को वहां से भेज दिया। गुस्साए ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी खरी खोटी सुनाई और कहा कि यह कहां का नियम है कि बच्चों को इस तरह से तनाव दिया जा रहा है।
स्कूल परिसर में गंदगी का अंबार
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इस स्कूल का अभी तक किसी अधिकारी ने निरीक्षण तक नहीं किया है। अभिभावकों को तो स्कूल में आने ही नही दिया जाता है। उन्होंने जिला कलक्टर और उच्च अधिकारियों को दूरभाष पर बात की।
कार्यवाहक प्रधानाचार्य के निलंबन के प्रस्ताव भेजे
ग्रामीणों की मांग थी कि कार्यवाहक प्रधानाचार्य शिवराज मीणा को निबंलित कर स्कूल स्टाफ को एपीओ किया जाए। परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाए और बालिका की स्कूल परिसर में प्रतिमा लगाई जाए। दोपहर साढ़े तीन बजे उपखंड अधिकारी दिनेशकुमार मीणा मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने प्रदर्शनकारियों के समक्ष शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मौके पर ही स्कूल स्टाफ अध्यापक रमनलाल, श्रवण कुमार तिवारी, पुष्पेन्द्र कुमार, मोहनलाल कारपेंटर, राजूलाल शर्मा, घीसालाल मेघवाल, मांगीलाल वर्मा, देवीलाल चौहान, भुवनेश मीना, कैलाश चंद मीना एपीओ करने के आदेश जारी किए। वहीं कार्यवाहक प्रधानाचार्य शिवराज मीणा को निबंलित करने प्रस्ताव निर्देशक बीकानेर को भेजे गए। इसके बाद प्रदर्शनकारी मान गए और जाम हटा कर शव उठा लिया।
गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार
प्रदर्शन के बाद छात्रा का गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल था।