यह था मामला छात्रा चंद्र प्रकाशी पुत्र ब्रजमोहन बैरवा कोटा विश्वविद्यालय की बीएससी का नियमित विद्यार्थी है। जिसने वर्ष 2017 में बीएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा दी। परीक्षा के बाद आए परिणाम के आधार पर केमेस्ट्री के अंकों से तो वह संतुष्ठ हो गई, लेकिन मार्कशीट में फिजिक्स व मैथेमटिक्स के अंक देख कर पैरों तले जमीन खिसक गई। छात्रा को विश्वास ही नहीं हुआ कि उसके एक अंक आएगा। चंद्र प्रकाशी ने सूचना के अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका की दुबारा जांच कराई तो 49 अंक आए। फिजिक्स में भी पूर्व में 0 दिए पर जांच करवाने पर 30 अंक आए। छात्रा ने बताया कि अंक संशोधान के लिए वे विवि के चक्कर काट रहे हैं लेकिन हर बार उसकी बात को टाला जा रहा है।
कोटा विवि परीक्षा नियंत्रक प्रवीण भार्गव का कहना है कि छात्रा की तीन बार कॉपी की जांच की गई है, जो अंक पहले थे, वहीं बाद में आए हैं। छात्रा के अभिभावक गुमराह कर रहे हैं।