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मोटर वाहन अधिनियम-1988 के अधीन नियमों के मुताबिक ग्रामीण और अन्य रूट पर 20 साल से पुरानी बसों का संचालन नहीं किया जा सकता। परिचालन मियाद पूरी कर चुकी बसों को कंडम घोषित कर रूट परमिट परिवहन विभाग को निरस्त करना होता है, लेकिन विभागीय अफसरों की मिलीभगत से कोटा के ग्रामीण मार्गों पर 26 साल पुरानी बसें बेधड़क दौड़ रही हैं।
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मुसाफिरों की जान से खिलवाड़
उम्र पूरी कर चुकी इन बसों की फिटनेस सालों पहले खत्म हो चुकी। हमेशा हादसे का खतरा बना रहता है। इनका इंश्योरेंस भी खत्म हो चुका। खुदा-न-खास्ता, कहीं कोई दुर्घटना हो जाए तो मुसाफिरों को मुश्किलें आ सकती हैं। ऐसी बसों को तुरंत सीज करने के प्रावधान मोटर वाहन अधिनियम में हैं।
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केस-एक – दो जनवरी 1992 को पंजीकृत 54 सीटर बस ‘आरजे 01 पीए 0722Ó का फिटनेस 22 अप्रेल 2014 और इंश्योरेंस 23 मार्च 2014 को एक्सपायर हो चुका, कोटा परिवहन विभाग ने इटावा से ढीपरी चम्बल वाया राजोपा रामपुरिया के ग्रामीण रूट पर रोजाना दो फेरे लगाने के लिए 25 फरवरी 2019 तक का परमिट जारी कर दिया।
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केस-दो- 11 फरवरी 1997 को पंजीकृत 37 सीटर बस ‘आरजे 20 पीए 6219Ó का फिटनेस 30 जनवरी 2016 और इंश्योरेंस 12 मई 2016 को खत्म हो गया। परिवहन विभाग ने इसे इटावा से ढीपरी चम्बल, वाया रोजापा रामपुरिया ग्रामीण रूट पर रोजाना 4 फेरे लगाने का 14 जुलाई 2020 तक का परमिट जारी कर दिया।जिला परिवहन अधिकारी संजीव भारद्वाज ने बताया कि ग्रामीण और अन्य मार्गों पर 20 साल से पुरानी बसें नहीं चल सकती। नियमानुसार ऐसी बसों को रूट परमिट नहीं दिया जा सकता। ऐसी बसों का संचालन रोकने और परमिट रद्द करने के लिए विशेष अभियान चलाएंगे।