गत वर्ष अगस्त में कनिष्ठ अभियंता दीपांशु चौधरी की देखरेख में विद्युत उत्पादन निगम ने इमरजेंसी गेट को स्लूज के चारों गेटों पर उतारने का प्रयास किया। 26 दिन तक इमरजेंसी गेट को स्लूज गेटों पर उतारने का काम चला। लेकिन 4 में से एक भी स्लूज गेट पर पूरा नहीं बैठ पाया। किसी स्लूज तक जाने वाली रेल पानी में डूबी रहने से जंग खाकर खराब हो गई है तो किसी जगह गेट जलाशय में जमे कीचड़, गाद पर डेढ़ फीट उपर ही अटक गया।