scriptबेसहारा छोड़ पति चले गए, बीमारियों ने बेघर कर दिया, जिसने सुनी इनकी कहानी छलक पड़े आंसू | The painful story of life struggle came in front of the kota | Patrika News
कोटा

बेसहारा छोड़ पति चले गए, बीमारियों ने बेघर कर दिया, जिसने सुनी इनकी कहानी छलक पड़े आंसू

जीवन संघर्ष की एक कहानी: सालों पहले छूटा पति का साथ, तंगहाली से जूझ रही कैंसर पीडि़ता मां, इलाज में बिक गए जमीन मकान, अब गुजर-बसर की चिंता।

कोटाNov 17, 2017 / 01:35 pm

ritu shrivastav

Life struggles, Cancer sufferers, Highwalt current, Story of mother-son, House, Land, Incomplete treatment, Bamashah scheme, Surgery, Rakshabandhan, Operation, Kota, Kota Patrika, Kota Patrika News, Rajasthan Patrika

महिला के जीवन का संघर्ष

पहले पति ने साथ छोड़ा, फिर बेटे को करंट ने झकझोरा। खुद कैंसर से पीडि़त है। मां-बेटे के इलाज में पहले जमीन बिक गई और फिर मकान। फिर भी बेटे का इलाज अधूरा रहा। पैरों में बच्चे को ज्यादा तकलीफ होने पर जनसहयोग से इलाज कराने पिछले दिनों कोटा आई। भामाशाह योजना में पैरों की सर्जरी तो हो रही है लेकिन अब बड़ी चिंता गुजर-बसर की सता रही है। फिर चुनौती ऑपरेशन के बाद बच्चे की दवा गोली व अन्य देखभाल की भी है। झालावाड़ जिले के सामिया गांव निवासी और तलवंडी के निजी अस्पताल में बच्चे के पैरों की सर्जरी कराने आई बसंती बाई यह कहानी बताती हैं तो उनकी आंखें झरने लगती हैं। इस सब के बीच खुद के गले में फिर से गांठ उठने का दर्द तो उसकी जुबां तक आकर लड़खड़ा जाता है। बस एक ही बात दोहराती है, सबकुछ बिक चुका, आगे क्या होगा।
यह भी पढ़ें

न ब्रेक है, न जीवन रक्षक इक्युपमेंट, फिर भी शान से दौड़ रही कंडम एम्बुलेंस

रक्षाबंधन का वो दिन

बसंती ने बताया कि उनके पति का कई सालों पहले निधन हो चुका। 11 से 5 साल तक के तीन छोटे पुत्र हैं। मझला पुत्र हरीश (9) का सवा साल पहले रक्षाबंधन के दिन घर की छत पर खेल रहा था कि ११ हजार केवी लाइन से छू गई। उसके हाथ-पैर बुरी तरह झुलस गए। लोगों की सलाह पर बेटे को बचाने के लिए वो उसे तत्काल कोटा के तलवंडी स्थित एक निजी अस्पताल लेकर आई। यहां ऑपरेशन कर उसका हाथ काटना पड़ा। ऑपरेशन के लिए पैसे नहीं थे तो तीन लाख में एक बीघा जमीन को बेचा।
यह भी पढ़ें

मासूम के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने वाले अारो‍पी को कठोर कैद की सजा

एक की सर्जरी हुई, दूसरी बाकी

तलवंडी स्थित एक अस्पताल में पिछले सप्ताह बंटे के एक पैर की सर्जरी हुई है। पैरों की अंगुलियों को खोला गया। दूसरा ऑपरेशन तीन माह बाद दिसम्बर तक होगा। हालांकि ये दोनों ऑपरेशन भामाशाह योजना से कवर हो रहे हैं। लेकिन, देखभाल की चिंता अब भी मुह बाए खड़ी है। करंट की चपेट से हरीश के दोनों पैरों की अंगुलियां भी आपस में चिपक गई थी। उस वक्त पैसे खत्म होने से वह पैरों का उपचार नहीं करा सकी। उसके पैरों ने काम करना बंद कर दिया। अब अंगुलियां भी सडऩे लग गई तो चिंता हुई। उपचार जरूरी हो गया। वे बताती हैं कि झालावाड़ रेलवे कर्मचारी रामनिवास मेघवाल और रामगंजमंडी निवासी जोनी शर्मा ने जनसहयोग से 26 हजार रुपए एकत्र किए। उसके बाद वे बेटे को लेकर कोटा इलाज के लिए पहुंची।
यह भी पढ़ें

कोटा-जयपुर-कोटा पैसेंजर ट्रेन को मिली रफ्तार 20 नवंबर से दौड़गी समय पर

मां को भी चाहिए इलाज

बसंती खुद भी गले में कैंसर से पीडि़त हैं। वे बताती हैं कि छह माह पहले ही उन्होंने मकान बेचकर गले का ऑपरेशन करवाया है। एक बार ऑपरेशन होने के बाद अब वापस दोबारा गांठ उठ गई है। फिर उपचार की जरूरत है लेकिन पैसे हैं ही नहीं, कहां से इलाज कराए। बस वो तो एक ही रट लगाए है, फिर से दौडऩे लगे मेरा लाल…। डॉ. यश भार्गव ने बताया कि हरीश हाईवोल्ट करंट लगने से झुलसा था। ऑपरेशन कर हाथ काटना पड़ा। पैर झुलस गए थे। अंगुलियां चिपक गई। इससे वह खड़ा नहीं हो सका। एक सप्ताह पहले सर्जरी की। अगले माह दूसरे पैर का ऑपरेशन होगा। उसे पैरों पर खड़ा करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

Hindi News / Kota / बेसहारा छोड़ पति चले गए, बीमारियों ने बेघर कर दिया, जिसने सुनी इनकी कहानी छलक पड़े आंसू

ट्रेंडिंग वीडियो