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प्रभु श्रीराम के नाम से चलते थे बैंक और चेक, आकर्षक डिजाइन के बीच नजर आती थी सियाराम की तस्वीर

Ram Mandir Pran Pratishtha Anniversary: रियासतकाल में डूंगरपुर में श्रीरामचन्द्र लक्ष्मण बैंक की स्थापना महारावल लक्ष्मण सिंह के शासनकाल में हुई। कई दशक तक यह बैंक अस्तित्व में रहा। देश की आजादी के बाद बैंकों का विलय हो गया।

कोटाJan 22, 2025 / 07:29 am

Akshita Deora

हेमंत शर्मा
Ram Mandir Pran Pratishtha Anniversary: अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा को एक वर्ष हो गया। प्रभु श्रीराम जन-जन की आस्था ही नहीं विश्वास के भी प्रतीक हैं। किसी समय राम के नाम पर बैंक और मुद्रा तक होती थी। डूंगरपुर का रियासतकालीन श्रीरामचन्द्र लक्ष्मण बैंक इसी की कहानी कहता है। श्रद्धा देखिए, बैंक के चेक तक में भगवान राम-सीता का चित्रांकन था।
रियासतकाल में डूंगरपुर में श्रीरामचन्द्र लक्ष्मण बैंक की स्थापना महारावल लक्ष्मण सिंह के शासनकाल में हुई। कई दशक तक यह बैंक अस्तित्व में रहा। देश की आजादी के बाद बैंकों का विलय हो गया। बैंक और चेक दोनों प्रभु श्रीराम के नाम से चलते थे। इस पर आकर्षक डिजाइन के बीच सीता राम का चित्र होता था। डूंगरपुर स्टेट के इस बैंक के चेक लखनऊ के एनके प्रेस में छपते थे। कोटा में मुद्रा विशेषज्ञ शैलेष जैन के पास बैंक का एक चेक संग्रहित है।
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जन जन के हैं राम

भगवान राम जन-जन के आराध्य रहे हैं। मुुद्रा-मुहर में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं, जिनमें उनकी तस्वीर अंकित थी। बादशाह अकबर के समय वर्ष 1604 में सोने व चांदी के सिक्के जारी किए। इनमें एक तरफ भगवान राम हाथ में धनुष लिए और माता सीता हाथ में पुष्प लिए हैं। मोहम्मद गौरी ने देवी लक्ष्मी को मुद्रा में अंकित करवाया।
-एडवोकेट शैलेश जैन, मुद्रा विशेषज्ञ

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