बेटों ने बरपाया मां-बाप पर कहर: कभी सूखी तो कभी नहीं मिलती खाने को रोटी, पीने को मिलता गंदा पानी
उन्हें खाने में सूखी रोटियां और पीने को गंदा पानी मिलता था। कनवास के खटीक मोहल्ले में 3 साल से बंद और मलमूत्र से सनी पानाबाई को दो दिन पहले अपना घर टीम आजाद कराकर आश्रम लाई थी। जब तीन बेटियां और पाना की छोटी बहन उनसे मिलने आई तो यह खुलासा हुआ। चारों ने भाइयों द्वारा मां-बाप पर किए अत्याचार की जानकारी देते हुए दर्द की कहानियां सुनाई तो आश्रम समिति के सदस्यों की आंखों से आंसू टपक पड़े।
जिनके आगे-पीछे घूमते थे तीन-तीन नौकर, बेटों ने उन्हें एक हजार दिन तक मलमूत्र में सडऩे-मरने को छोड़ा
आश्रम में पाना से मिलने शनिवार को छोटी बहन नटी बाई व तीन बेटियां, रिश्तेदार पहुंचे। पानाबाई की ऐसी दुर्दशा देखकर बेटियां, बहन, परिजनों की रुलाई फूट पड़ी। तीनों बेटियों ने बताया कि हमारे मां-बाप के पास कोई कमी नहीं थी। पिताजी के पास 85 बीघा जमीन थी। घर में तीन-तीन नौकर लगते थे। लेकिन सम्पत्ति के लालच में दोनों भाइयों ने मां-बाप की ऐसी बेकद्री की।
लालची बेटों ने मां को काल कोठरी और बाप को 3 साल तक बाथरूम में रखा बंद, एक हजार दिन तड़पते रहे बूढ़े मां-बाप
जमीन-जायदाद के चक्कर में दोनों भाइयों ने उनसे भी नाता तोड़ लिया। बोली, ‘भाई तो हम तीनों बहनों को देखना तक पसंद नहीं करते। गुजरे नवम्बर माह में मां से मिलने कनवास गई थी। तब भी मां का यही हाल था। तब भी हम नहला-धुला कर भोजन कराकर आए थे। लेकिन, यह भाइयों को रास नहीं आया, भला बुरा कहा। बेटियों ने बताया कि भाई मां से मिलने भी नहीं देते थे। गांव जाते तो भगा देते। उन्होंने आश्रम संचालकों से अपील की कि मां को भाइयों के साथ नहीं भेजें। कम से कम हम यहां आकर मां से मिल तो सकेंगे।
इतना बेरहम कैसे हो सकता है बेटा
आश्रम में मौजूद सभी लोगों के जहन में एक ही सवाल था, कोई बेटा इतना बेरहम कैसे हो सकता है। जिस बेटे के जन्म पर मां ने खूब तुलसी पूजन किया। बाप ने अंगुली पकड़कर चलना सिखाया उसी ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया की वह पल याद करते ही मां-बाप सहम जाते हैं। जब कलयुगी बेटा अपना आश्रम में मां से मिलने पहुंचा तो वह उसे देख सहम उठी। आंखों में आंसू लिए मां बोली, ‘घणी तुलसां पूजी छी, जद थारो जनम होयो… असी करगो या तो कदी सोची भी न छी। इसी के साथ आंखों में आंसू छलक पड़े।
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केशवरायपाटन निवासी बहन नटी बाई ने बताया कि बेटे नरेंद्र ने बहन के जीवन को नरक बना दिया। बड़े बेटे ने भी जीजाजी (पिता) को कई दिनों तक बाथरूम में बंद रखा था, जिन्हें खुद नटी बाई ने जाकर बाहर निकाला था। उन्होंने भी आश्रम संचालकों से अपील की कि पाना को बेटे के साथ नहीं भेजे।