scriptNavratri Special: भक्तों ने देखा, यहां नवरात्र में तीन दिन तक पानी से अखंड ज्योत जलती है | Shardiya Navratri 2023 Special Devi Temple Of Chamunda Mata Mandir Kotsuwan Sultanpur History | Patrika News
कोटा

Navratri Special: भक्तों ने देखा, यहां नवरात्र में तीन दिन तक पानी से अखंड ज्योत जलती है

कोटा जिले के सुल्तानपुर क्षेत्र के कोटसुवां गांव का मां चामुंडा माता का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केन्द्र है। इसका कारण है यहां नवरात्र में तीन दिन तक पानी से अखंड ज्योत जलती है।

कोटाOct 17, 2023 / 08:54 am

Santosh Trivedi

chamunda_mata_mandir.jpg

सुल्तानपुर (कोटा)। कोटा जिले के सुल्तानपुर क्षेत्र के कोटसुवां गांव का मां चामुंडा माता का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केन्द्र है। इसका कारण है यहां नवरात्र में तीन दिन तक पानी से अखंड ज्योत जलती है। मंदिर समिति और गांव के बुजुर्गों के मुताबिक चामुंडा माता की स्थापना करीब नौ सौ वर्ष पूर्व होने की जानकारी है। माता के दर्शनों एवं पूजा-अर्चना के लिए नवरात्र में सुबह चार बजे से भक्तों की आवाजाही शुरू हो जाती है, यह क्रम देर रात तक चलता है।

मंदिर स्थापना की यह है कहानी
गांव के वरिष्ठ अध्यापक नरेश कुमार मीणा ने बताया कि नवरात्र में वर्षों से माता का जस गीत गाया जाता है, जिसमें माता की स्थापना के बारे में बताया जाता है। इसके मुताबिक विक्रम संवत 1169 में कोटसुवां गांव में चम्बल नदी के दूसरी ओर एक दिव्य कन्या ने कालू कीर नामक नाविक को नाव से पार करवाने के लिए बुलाया। जहां दिव्य कन्या ने इन्द्रासन से आने की बात कही। नदी के बीच नाविक के मन में पाप आ गया। इसे जान दिव्य कन्या ने उसे नाव में ही गोंद रूप में चिपका दिया। इसके बाद गांववासी एकत्रित हुए तो दिव्य कन्या ने अपना परिचय दिया और कहा कि 14 साल बाद वापस नाविक सही सलामत मिलेगा। आप मंदिर बनवाइए, इसके बाद ठीक वैसा ही हुआ। उस समय के आखाराम पटेल ने माता का मन्दिर बनवाया। इसके बाद से उसी कालू कीर की पीढ़ी के लोग माता रानी की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।

तीन दिन तक पानी से जलते हैं दीपक
नवरात्र की पंचमी, षष्ठी और सप्तमी तक मंदिर में पानी से अखंड ज्योत जलती है। प्राचीन परंपरा के अनुसार यहां नवरात्र के प्रथम दिन माता के भोपे के शरीर में माता आती हैं। फिर भोपे को ढोल-नगाड़ों के साथ चंबल नदी ले जाया जाता है, जहां नदी के बीचों-बीच से दो घड़े भरकर पानी लाया जाता है, जिसे मंदिर में रखा जाता है। अब यहीं से भोपा का शुद्धीकरण तप शुरू होता है। जहां माता का भोपा नवरात्र में निराहार रहकर मंदिर में ही ध्यान लगाता है।

chamunda_mata_mandir_sultanpur.jpg
रोजाना सिर्फ एक गिलास दूध के सहारे नो दिन व्यतीत करता है। इसमें पंचमी की शाम को महाआरती के बाद भोपा के शरीर में माता का प्रवेश होता है। फिर जिस घड़े में पानी भरकर लाया गया था, उसमें से माता को पानी दिया जाता है, इसी पानी को ज्योत में डालती हैं और फिर उसी पानी से माता का दीपक जलता रहता है। ऐसा सप्तमी तक होता है। हजारों श्रद्धालुओं के सामने यह चमत्कार होता है।

Hindi News / Kota / Navratri Special: भक्तों ने देखा, यहां नवरात्र में तीन दिन तक पानी से अखंड ज्योत जलती है

ट्रेंडिंग वीडियो