डॉक्टरों के अनुसार, यदि कैंसर का प्रारंभिक चरण में निदान हो जाए, तो 80 से 100 प्रतिशत मामलों में इसे ठीक किया जा सकता है। भारत को 2030 तक सर्वाइकल कैंसर मुक्त बनाने का केंद्र सरकार का उद्देश्य इस दिशा में बड़ी पहल है।
सेंटर में कृत्रिम गर्भाधान (एआरटी) के लिए लेवल-1 की सुविधा भी दी जा रही है। इसके तहत पुरुष सीमेन प्रोसेसिंग रूम, सेंट्रिफ्यूज मशीन, आईयूआई कक्ष, एसटीडी क्लिनिक, फैमिली प्लानिंग और पोस्टपार्टम क्लिनिक, किशोर अवस्था क्लिनिक, निःसंतानता क्लिनिक जैसी सेवाएं उपलब्ध हैं।
जेके लोन अस्पताल की स्टडी
2021-22 के बीच 200 महिलाओं पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि कोलपोस्कोपी पैप स्मीयर से अधिक सटीक है। इस प्रक्रिया की संवेदनशीलता 75.7% और विशिष्टता 95.1% पाई गई।
सर्वाइकल कैंसर के नेशनल आंकड़े
हर साल 6 लाख 4 हजार नए मामलों की पहचान होती है। इनमें से 3 लाख 42 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है।90% मामले निम्न और मध्यम वर्ग की महिलाओं में होते हैं। यह पहला कैंसर है, जो एचपीवी वायरस के कारण होता है और इसे विकसित होने में 10-15 साल लगते हैं। हाड़ौती में हर साल 2 हजार से अधिक नए कैंसर मरीज सामने आते हैं।
हमारा प्रयास है कि महिलाओं में गर्भाशय मुख का कैंसर का जल्दी पता लगाकर समय पर इलाज मुहैया कराया जाए। वैक्सीनेशन के बाद भी महिलाओं को नियमित पेप्स टेस्ट कराना जरूरी है। सेंटर में कृत्रिम गर्भाधान (एआरटी) के लिए लेवल 1 की सुविधा भी दी जा रही है। आईवीएफ शुरू के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवा रखा है।
डॉ. निर्मला शर्मा, अधीक्षक, जेके लोन अस्पताल