डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि ऑपरेशन काफी जटिल था, इसलिए आठ घंटे तक ऑपरेशन चला। इसमें बच्ची के हार्ट की झिल्ली से फेफड़े की महाधमनियां विकसित की और कृत्रिम झिल्ली से महाधमनी बनाई। इसके बाद हार्ट से निकलने वाली सभी नसों को उन दोनों महाधमनियों को जोड़ा। उन्होंने बताया कि इतने बड़े जटिल और अतिदुर्लभ केस को सफलतापूर्वक ऑपरेट करने से मन काफी उत्साहित और खुश था, लेकिन बच्ची के होश आने तक उसकी देखभाल के लिए दो दिनों तक घर नहीं जाकर अस्पताल में ही रूक रहे। ताकि कोई भी दिक्कत आए तो बच्ची को तुरंत देख सकें।
जब बच्ची की सीटी स्केन कराई तो स्थिति वाकई बहुत खराब थी। पिता ने यह कहते हुए ऑपरेशन के लिए आग्रह किया कि बच्ची महीने के तीस दिनों में से २१ दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहती है, बच्ची के पिता के आग्रह पर डॉक्टर ने ऑपरेशन का जोखिम उठाया।