अब अनावश्यक देरी नहीं होगी इससे उनके अदालतों में गवाही के लिए भी समय पर उपस्थित नहीं होने से मुकदमों की सुनवाई में अनावश्यक देरी होती है। ऐसे में अब अनुसंधान अधिकारी को मुकदमों में अनुसंधान के दौरान गवाह के सरकारी कर्मचारी और पुलिसकर्मी होने की दशा में उनके मोबाइल नम्बर, ई-मेल एडे्रस और व्हॉट्सएप नम्बर गवाहों की सूची में आवश्यक रूप से लिखने होंगे।
कोर्ट मुंशी देंगे सूचना परिपत्र में कहा गया कि अदालत द्वारा गवाह के साक्ष्य के लिए समन जारी किया जाता है तो दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 62 में समन तामील की प्रक्रिया के अतिरिक्त संबंधित थाने का कोर्ट मुंशी अदालतों से समन प्राप्त करेंगे। ऐसे समन को संबंधित थाने में स्केन कर ई-मेल एडे्रस, वाट्सएप नम्बर व मोबाइल नम्बर पर भेजेंगे। उन्हें मोबाइल पर सूचित करेंगे। साथ ही, कार्यवाही को समन पर अंकित कर समन को अदालत में लौटाएंगे।
आईओ को दें आदेश परिपत्र की प्रति हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और रजिस्ट्रार ई कोर्ट को भेजकर संबंधित न्यायालयों को समन की प्रति कोर्ट मुंशी को उपलब्ध कराने को कहा गया है। साथ ही, परिपत्र की प्रति पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो व अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस (अपराध) को जारी कर इस कार्यवाही के लिए अनुसंधान अधिकारियों को आदेशित करने को कहा गया है।
यह होगा लाभ जानकारों के अनुसार नई प्रक्रिया से एक तो पुलिस कर्मियों को अनावश्यक रूप से समन तामील कराने के लिए चक्कर नहीं काटने पड़ेंंगे। वहीं समन समय पर तामील हो सकेंगे। गवाहों के समय पर अदालत में उपस्थित होने पर मुकदमों की सुनवाई में भी देरी नहीं होगी।