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सेलरी से कटते रहे पैसे, खातों में नहीं हुए जमा कोटा के शिक्षकों ने जब अपने GPF और NPS में कटौती होने के बावजूद खातों की जांच की तो पैसा गायब था। घोटाल की आशंका के बाद जब शिक्षकों के विरोध के स्वर उठे तो शिक्षा उपनिदेशक ने जांच अधिकारी गंगाधर मीणा के नेतृत्व में लेखाधिकारियों टीम गठित कर 2013 से लेकर 2016 तक रिकॉर्ड को खंगाला। जिसके बाद इस घोटाले का खुलासा हुआ। इस मामले में जिम्मेदार लिपिक गिरिराज वर्मा व कार्यवाहक बीईईओ रामेश्वर मेघ को सस्पेंड कर दिया और घोटाले की रामगंजमंडी थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। घोटाले की जांच पूरी करने के बाद टीम को पता चला कि शिक्षकों के जीपीएफ व एनपीएस में इन दोनों क्लर्कों ने 2 करोड़ 29 लाख रुपए पार कर दिए।
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एक की जांच पूरी, दूसरी जारी शिक्षक संघों ने इस मामले में वर्ष 2005 से ही जांच करने के लिए शिक्षा उपनिदेशक प्रारंभिक को लिखा था। शिक्षा उपनिदेशक प्रारंभिक ने जयपुर व बीकानेर निदेशालय को विशेष जांच के लिए लिखा। पिछले दिनों जयपुर महालेखा नियंत्रक की टीम ने ऑडिट की। पिछले एक माह से खैराबाद कार्यालय में बीकानेर की विशेष जांच टीम डेरा डाले हुए है, जो 2005 से जीपीएफ व एनपीएस राशि में घपले की जांच कर रही है।
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अभी खुलेंगी और परतें कोटा के प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक दुर्गा सुखवाल ने बताया कि शिक्षकों के जीपीएफ और एनपीएस में हुए गबन की अभी और परतें खुलेंगी। फिलहाल बीईईओ कार्यालय के अधीन शिक्षकों के जीपीएफ व एनपीएस राशि मामले में 2 करोड़ 29 लाख का गबन उजागर हुआ है। जयपुर व बीकानेर को भी विशेष जांच के लिए लिखा था। जयपुर टीम ने अपनी जांच पूरी कर ली है। बीकानेर की जांच दस्तावेजों को खंगालने में जुटी है।