समिति के प्रबन्धक अनुपम खंडेलवाल ने बताया कि भवन एक मंजिला है। विशेष आकार में तैयार इस भवन में भूतल पर लाइब्रेरी रहेगी। इसमें वेद, पुराण, रामायण, भागवत व अन्य विभिन्न नवीन व प्राचीन ग्रन्थ व पुस्तकें, हस्तलिखित ग्रन्थ व विभिन्न धार्मिक व ज्ञानवद्र्धक पाठ्य सामगी रहेगी। गीता पर आधारित चित्र भी शोधार्थियों को देखने को मिलेंगे। हर दिन गीता पर चर्चा, विशेषज्ञों की चर्चाएं व व्याख्यान होंगे। यह शोध केन्द्र भवन वातानुकूलित होगा।
अध्यक्ष कृष्ण कुमार गुप्ता ने बताया कि संभवतया हाड़ौती भर में यह पहला शोध केन्द्र होगा। केन्द्र की शुरुआत 30 नवम्बर को गीता जयंती पर की जाएगी। साधु-संतों व अतिथियों के सान्निध्य में केन्द्र का लोकार्पण किया जाएगा। इसकी पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। भवन बनकर तैयार है। रंग रोगन किया जा रहा है। लोगों को अधिक से अधिक गीता के उपदेश पढऩे को मिल सकें, इस दृष्टि से इसकी शुरुआत की जा रही है।
क्या है श्रीमद्भागवत गीता श्रीमद्भागवत गीता एक धार्मिक ग्रंथ है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को कुरूक्षेत्र में दिए उपदेशों का व्याख्यान है। जिसमें धर्म और कर्म की व्याख्या की गई है। इसमे 18 अध्याय है जिसमें श्रीकृष्ण ने सांसारिक मोह त्याग कर धर्मयुद्ध की सीख अर्जुन को दी।