पिछले दो-तीन साल में कोटा में सुसाइड के केस ज्यादा होने और कोचिंग सिटी से मोह भंग होने जैसे मामलों के बीच काफी समय से सरकार और निजी स्तर पर हालात सही करने की कोशिशें की जा रही है। कोटा कलक्टर, एसपी, कोचिंग प्रबंधन, पीजी संचालक और अन्य लोग बच्चों को मोटिवेट कर रहे हैं, उनकी हेल्प करने की हर कोशिश कर रहे हैं। काउंसलिग की जा रही है, फोन पर मदद जैसे उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी ये तमाम प्रयास पूरी तरह से कारगर नहीं हो रहे हैं।
मनोचिकित्सक अनिता शर्मा का कहना है कि सुसाइड के करीब पंद्रह कारण होते हैं। उनमें से ही किसी न किसी कारण से बच्चे जूझ रहे होते हैं। इनमें प्रमुख कारण हैं पढ़ाई का दबाव, पढ़ाई का महंगा खर्च, कठिन एग्जाम फाइट करने जैसा फोबिया, कई कोशिश और अटेम्ट के बाद भी सफलता नहीं मिल पाना, फैमिली सुसाइड हिस्ट्री, लो कम्यूनिकेशन स्किल, मानसिक बीमारी, अकेलपना, रूचि से अलग पढ़ाई, होम सिकनेस, मां-बाप का सेपरेशन, कोचिंग में टेस्ट में कम नंबर आने पर बेंच बदलाव, अपोजिट जेंडर के प्रति आकर्षण, स्टडी का बेहद टाइट शेड्यूल, फोन से जुड़ी परेशानियां जैसे गेम, अश्लील वीडियो आदि। ये तमाम ऐसे कारण हैं कि इनमें से किसी न किसी कारण से बच्चे जूझ रहे होते हैं। सहीं समय पर मेंटल सपोर्ट देकर बच्चों की जान काफी हद तक बचाई जा सकती है।