राजस्थान गृह विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, दो वर्षों (2021-2022) में किशोरों के खिलाफ 4257 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें चोरी के 1,358, बलात्कार के 571, जालसाजी के 514, अपहरण के 379, डकैती के 319, हत्या के प्रयास के 305 और हत्या के 168 मामले शामिल हैं। कोटा जज शिप के अधीन कार्यरत किशोर न्यायालय में जुलाई 2024 तक कुल 750 प्रकरण लम्बित थे। आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा मामले चित्तौड़गढ़, झालावाड़, डूंगरपुर, धौलपुर, भरतपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा और बीकानेर में दर्ज किए गए हैं।
नाबालिगों को अपराधियों का ‘टूल’ बनने से रोकना होगा
नाबालिग का क्राइम में बढ़ रहा ग्राफ काफी गंभीर है। गैंगस्टर अपने काम निकलवाने के लिए नाबालिगों को सबसे ज्यादा उपयोग में ले रहे हैं। इनको क्राइम की दुनिया से दूर रखने के लिए पुलिस की ही नहीं, बल्कि सामूहिक रूप से सभी की जिम्मेदारी है। संजय शर्मा, एडिशनल एसपी, कोटा मुख्यालय आदतन अपराधी बनने से रोकना होगा
उन परिस्थितियों को समझना होगा, जिनके कारण किशोर वय में अपराध की प्रवृत्ति बढ रही है। माता-पिता एवं प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक का भी कर्तव्य है कि बच्चों का ध्यान रखें। प्रयास यह होना चाहिए कि किशोर ने यदि कोई अपराध कारित कर दिया है तो वह भविष्य में आदतन अपराधी की श्रेणी में नहीं आ जाए। वर्तमान समय में बालकों के द्वारा अपराध कारित करने का आंकड़ा एक प्रतिशत को पार कर चुका है। किशोर अपराधियों के मामले में पुनर्वास के सिद्धांत को अक्सर सबसे ज़्यादा महत्व दिया जाता है। किशोरावस्था में शिक्षा एवं रोजगार उपलब्ध करवा बच्चों को अपराध की तरफ जाने से रोका जा सकता है।
विवेक नंदवाना, एडवोकेट व कानून सलाहकार
पिछले दिनों सामने आए मामले
1. मकबरा थाना क्षेत्र में गत 26 सितंबर में थाने से महज 200 मीटर दूर बदमाशों ने फायरिंग की थी। इस फायरिंग के मामले में पुलिस ने चार आरोपियों के साथ एक नाबालिग डिटेन किया था। 2. विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में गत 23 जुलाई को एक नॉनवेज रेस्टोरेंट पर फायरिंग की गई थी। इस फायरिंग में भी पुलिस ने नाबालिग को निरुद्ध किया था। 3. महावीर नगर थाना में गत 2 मई को रील बनाने समय नाबालिग ने बंदूक से फायर किया था। जिससे उसके सामने खड़े दोस्त की मौत हो गई थी। पुलिस ने एक नाबालिग निरुद्ध व दो गिरफ्तार किए।
इसलिए नाबालिग को लेते हैं काम
अपराधियों द्वारा नाबालिगों को टूल बनाया जा रहा है, क्योंकि पुलिस सामान्यत: नाबालिग पर शक नहीं करती। साथ ही नाबालिगों को जल्द जमानत मिल जाती है। चैन स्नेचिंग, वाहन चोरी सहित अन्य अपराधों में इनको यूज लिया जा रहा है।