रेलवे सूत्रों के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में रेलवे ने पूरे देश के लिए परिचालन अनुपात 92 रुपए 08 पैसे रखा है। इसकी तुलना में पश्चिम मध्य रेलवे का परिचालन अनुपात बेहतर है। वर्ष 2015-16 में देशभर का यह अनुपात 90.5 प्रतिशत, 2016-17 में यह अनुपात 96.5 प्रतिशत, 2017-18 में यह अनुपात 98.4 प्रतिशत रहा।
546 अतिरिक्त कोच लगाए
सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद रेलवे पर 22 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ा। रेलवे यात्रियों को लुभाने के लिए कई प्रयास कर रहा है। पश्चिम मध्य रेलवे में जनवरी से जुलाई माह तक यात्रियों की भीड़ को देखते हुए विभन्न ट्रेनों में अस्थाई रूप से 546 अतिरिक्त कोच लगाए गए। यात्रियों को बदबू मुक्त सफर का माहौल देने के लिए जोन के 1332 कोचों में जैविक शौचालय लगाए चुके हैं।
कोटा. ट्रेक के रखरखाव और अन्य कारणों से घंटों देरी से चल रही ट्रेनों के आगमन-प्रस्थान के संभावित समय की जानकारी यात्रियों को सही नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तो स्टेशन के डिस्प्ले बोर्ड, ऑनलाइन सिस्टम और एकीकृत पूछताछ नम्बर 139 पर अलग-अलग जानकारी मिलने से यात्री भ्रमित हो रहे हैं। इस कारण यात्री समय से कई घंटे पहले पहुंच जाते हैं या फिर गलत जानकारी के चक्कर में उनकी ट्रेन छूट जाती है।
गलत जानकारी से हुई भागदौड़
उदाहरण के तौर पर शुक्रवार रात 1.50 बजे कोटा पहुंचने वाली गाड़ी संख्या 20813 पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस 4 घंटे देरी से चल रही थी। ऑनलाइन टे्रन इंक्वायरी सिस्टम पर यह ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा विलम्ब बताई जा रही थी, वहीं एकीकृत पूछताछ नम्बर 139 पर इस ट्रेन का परिचालन समय सही समय से बताया जा रहा था। इस ट्रेन के एस-3 कोच में सफर कर रही यात्री भव्या अग्रवाल ने बताया कि उन्हें गुरुवार शाम 5.23 बजे हबीबगंज से ट्रेन पकडऩी थी। जब ऑनलाइन सिस्टम से पता किया तो ट्रेन 3 घंटे से ज्यादा देरी से चलना बताया गया। जब साढ़े चार बजे पूछताछ नम्बर 139 पर पता किया तो ट्रेन को सही समय पर आना बताया। इस जानकारी पर हड़बड़ी में स्टेशन पहुंची तो पता चला ट्रेन 5 घंटे लेट है। वापस लौटे और रात 10 बजकर 15 मिनट पर हबीबगंज पहुंची तो पता डिस्प्ले बोर्ड पर समय 10 बजकर 8 मिनट पर आना बताया। यह देखकर लगा ट्रेन निकल गई, लेकिन पूछताछ पर पता किया तो ट्रेन नहीं आई थी। यह ट्रेन 10.27 बजे पहुंची।
कोटा जंक्शन पर नहीं मिली जानकारी
कोटा जंक्शन पर यात्री महादेव अग्रवाल ने बताया कि उन्हें पूछताछ नम्बर 139 और ऑनलाइन सिस्टम पर संभावित समय की अलग-अलग जानकारी मिली तो वे शाम 5 बजे स्टेशन पर इस ट्रेन के संभावित समय का पता लगाने गए, लेकिन वहां समय की जानकारी नहीं मिली। वहीं उन्होंने मोबाइल पर लोड एक सॉफ्टवेयर में देखा तो टे्रन को सही समय पर आना बताया। हकीकत में यह टे्रन 4 घंटे देरी से चल रही थी।
ऐसे हुई लेट
यह ट्रेन पुरी से अपने निर्धारित समय अपराह्न 3 बजकर 50 मिनट पर रवाना हुई और 16 किलोमीटर के सफर में ही 15 मिनट विलम्ब हो गई। 288 किमी का सफर 3 घंटे 35 मिनट विलम्ब हो गई। पुरी से 724 किमी दूर रायपुर स्टेशन पर यह ट्रेन 4 घंटे 13 मिनट देरी से पहुंची। हबीबगंज स्टेशन पर गुरुवार को 5 घंटे 4 मिनट देरी से पहुंची। कोटा जंक्शन पर यह टे्रन रात 1.50 बजे आती है, लेकिन 4 घंटे 36 मिनट देरी से सुबह 6 बजकर 26 मिनट पर पहुंची।
रेल मंत्रालय के अनुसार ये कारण
गत आठ अगस्त 2018 को लोकसभा में रेल मंत्रालय की ओर से एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी गई थी कि रेलवे की पूछताछ में गलत समय और गलत प्लेटफार्म की सूचना देने संबंधित मामले में नोटिस में आए हैं। पूछताछ के जरिए उपलब्ध कराई जा रही सूचना, सिग्नल फेल होने, हादसा होने, चेन पुलिंग करने और नेशनल ट्रेन इंक्यारी सिस्टम को गलत अपडेट किए जाने के कारण प्रभावित हो रही है।