संतों के लिए सब एक
संत गोविंद दास महात्यागी ने कहा कि संत फकीरों के लिए सब समान हैं। उनके लिए जात-पात का कोई भेद नहीं होता। यही सीख वे सभी को देते हैं। गंगा का पानी कोई भी पी सकता है। पेड़, हवा भी भेद नहीं करती तो इंसान क्यों करे। ज्ञानी गुरनाम सिंह अंबालवी ने दिलों की कालिख को मिटाकर दिलों को उजला बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने अन्य मंचासीन अतिथियों और पदाधिकारियों के साथ शांति का परचम लहराया।
गीतों से दिया संदेश
शाईर मंजर भोपाली ने ये धरती सब धर्मों का गुलशन है शूल किसने बो दिए…ये सोने का कंगन है…चांदी का दर्पण है..,सुबह उठें मोहब्बत से उठें, सोएं मोहब्ब्त के साथ.., सरीखे गीतों की प्रस्तुतियां दी। पैगामे अम्न कॉन्फ्रेंस कार्यक्रम में मिशन के सरपरस्त मोहम्मद मिया, महासचिव नियाज अहमद निक्कू, इस्तकबालिया कमेटी के अध्यक्ष रामकुमार दाधीच, प्रवक्ता आसिफ खान, जिलाध्यक्ष अब्दुल करीम खान, सह संयोजक मंजूर तंवर, दानिश पठान समेत अन्य लोग मौजूद रहे।