केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 25 जनवरी 2016 को राजपत्रित अधिसूचना जारी कर कोयला और लिग्नाइट आधारित तापीय विद्युत संयंत्रों को आदेश दिया था कि प्लांट की एश डाइक में स्टॉक करके रखी गई फ्लाईएश को 31 दिसंबर 2017 तक बीबीटी इंडस्ट्रीज को बांटकर हर हाल में एश डाइक खाली करा ली जाए। किसी भी सूरत में इस तय तारीख के बाद थर्मल प्लांट के पास फ्लाईएश का स्टॉक नहीं बचना चाहिए।
कसने लगा कार्रवाई का शिकंजा : 31दिसम्बर 2017 तक फ्लाईएश का स्टॉक खत्म करने में नाकाम रहे कोटा थर्मल को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें पूछा है कि कब और किस बीबीटी इंडस्ट्रीज को मुफ्त में कितनी फ्लाईएश दी गई? 300 किमी के दायरे में उठाए गए लोडिंग और ट्र्रांसपोर्टेशन के खर्च का ब्यौरा और फ्लाईएश आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए लगाए गए ब्रिक प्लांटों का रिकॉर्ड भी तलब किया गया है।
कानून की उड़ाई धज्जियां : सरकार की ओर से राजपत्रित अधिसूचना जारी होने के दो साल बाद भी कोटा थर्मल ने एश डाइक खाली कराने की कोशिश नहीं की। फ्लाईएश आधारित उद्योगों को मुफ्त में राख बांटने की बजाय, एश डाइक अवैध कारोबारियों के हाथ में सौंप दी। अवैध कारोबारियों के लगातार फ्लाईएश बेचने के बावजूद अब भी कोटा थर्मल की एश डाइक में 2 लाख टन से ज्यादा बॉटम फ्लाईएश का स्टॉक जमा है।
दिल्ली-मुंबई की लड़कियां कोटा के लड़कों को फांस रही हुस्न के जाल में, मोबाइल पर फोटो भेज करती हैं दोस्ती फिर घिनौना काम ?… अब भी मौजूद है फ्लाईएश स्टॉक : इस बारे में थर्मल के चीफ इंजीनियर एचबी गुप्ता का कहना है कि अधिकारिक तौर एश डाइक में फिलहाल 83 हजार मीट्रिक टन फ्लाईएश का स्टॉक मौजूद है। जिसे बीबीटी इंडस्ट्रीज को मुफ्त दिया जा रहा है। हालांकि जब उनसे फ्लाईएश स्टॉक और उसके वितरण का रिकॉर्ड मांगा गया तो उन्होंने कोई दस्तावेज मौजूद होने से इनकार कर दिया। बोले, जिन लोगों को जरूरत है, वे एश डाइक से फ्लाईएश भरकर ले जाते हैं। कोटा थर्मल किसी को इसका आवंटन नहीं कर रहा। वहीं डाइक पर जाकर उसका स्टॉक नहीं जांचा जाता। अंदाजे के मुताबिक आकलन किया जाता है।
देना होगा नोटिस जवाब : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा का कहना है कि थर्मल प्रबंधन से फ्लाईएश नोटिफिकेशन 2016 की पालना की जानकारी मांगी गई है। नोटिस का जवाब 15 दिन में देना होगा। तय समय पर जवाब न देने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।