कोटा

दो दिन पहले हुई थी डिलेवरी, डॉक्टरों ने वार्ड से निकाला, बच्चे को गोद में लेकर चढ़ी 35 सीढ़ियां

चिकित्सा मंत्री का दौरा एमबीएस और जेके लोन में भर्ती नवजात बच्चों और महिलाओं पर भारी पड़ गया।

कोटाNov 03, 2017 / 02:02 pm

​Vineet singh

Negligence in Treatment in JK Lone Hospital kota

राजस्थान के सबसे बड़े हॉस्पिटलों में सुमार एमबीएस और जेके लोन हॉस्पिटल की खामियां छिपाने और अपनी जान बचाने के लिए डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ करने तक से नहीं चूके। अव्यवस्थाओं और अराजकता पर दौरे की सफेद चादर डालने की कोशिश में डॉक्टरों ने मरीजों की जान तक दांव पर लगा दी। आलम यह था कि दो दिन पहले जिस महिला की डिलेवरी हुई उसे बच्चे को गोद में लेकर एक मंजिल झीना तक चढ़वा दिया। इतनी कोशिशों के बावजूद भी आला अफसरों की निगाहों से हॉस्पिटल प्रबंधन की खामियां छिप नहीं सकी। जिनके लिए उन्होंने खूब फटकार भी लगाई।
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जबरन निकाला वार्ड से

चिकित्सा मंंत्री का दौरा जेके लोन अस्पताल के नवजातों पर भारी पड़ गया। नीचे के वार्डों में शिशु कम दिखाई दें और तीमारदार नहीं दिखे, इसके लिए नवजातों को नीचे के वार्डों से ऊपर शिफ्ट कर दिया गया। एक-एक वार्मर पर दो-दो बच्चों को लिटा दिया गया। यही नहीं, जिन्हें नहीं भेजना था उन्हें भी शिफ्ट कर दिया गया। अनंतपुरा निवासी अप्सरा को तो कोई तीमारदार नहीं होने पर अकेले ही बच्चे को लेकर ऊपर जाने को मजबूर किया गया। उसने बताया कि ‘मेरे पास सुबह कोई नहीं था। नर्सिंग कर्मचारी आए और कहा कि जल्दी ऊपर जाओ, यहां कोई नहीं रहेगा। मैं अकेली ही अपने बच्चे को ऊपर लेकर गई, जबकि दो दिन पूर्व ही मेरी डिलेवरी हुई थी।’
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13 बच्चे शिफ्ट

निरीक्षण के डर से अधिकारियों ने 13 नवजात शिशुओं को एनआईसीयू, पीआईसीयू, एनआईसीयू ए व बी और एफबीएनसी वार्ड से न्यू नेटल वार्ड (एनएनडब्लू) में शिफ्ट कर दिया। इस वार्ड में नियमित रूप से 15 या 20 बच्चे ही रहते हैं, लेकिन अव्यवस्थाएं छुपाने के लिए मासूमों को भी नहीं बक्शा गया। मंडाना निवासी यशोदा ने बताया कि वह नीचे थी, लेकिन सुबह जल्दी-जल्दी कई बच्चों को ऊपर शिफ्ट किया गया। जबकि नीचे भी जगह थी।’
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जो सड़ते रहते, चकाचक कर दिए

मंत्री और अफसरों के दौरे के मद्देनजर गुरुवार को सुबह ही एमबीएस व जेके लोन अस्पताल में गंभीरता से साफ-सफाई शुरू हो गई। हर जगह अधिकारी -कर्मचारी व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करते नजर आए। नीचे के सभी वार्डों पर साफ चादर दिखी तो सफाई भी। जहां कभी सफाई नहीं होती, वो स्थान भी चकाचक किए गए। मरजेंसी में मरीजों को कभी टूटे स्टे्रचर तक नहीं मिलते थे, वहां आज नए स्टे्रचर के साथ उन पर साफ चादर नजर आई।
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गंदगी देख खफा हुए साहब

इन सबके बावजूद खामियां छिप ना सकीं। मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा आनंद कुमार ने एमबीएस के मेल मेडिकल ए व फीमेल मेडिकल वार्ड का दौरा किया तो तमाम खामिया नजर आ गई। हॉस्पिटल की गंदगी देख उन्होंने जिम्मेदार अफसरों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने वार्डों में रेजीडेंट की नियमित ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए। सचिव ने मीडिया से कहा कि प्राचार्य को आदेश दिए हैं कि वह जो भी कमियां हो उसे देखते हुए प्रस्ताव बनाकर भेजे, ताकि आने वाले समय में कोई परेशानी नहीं हो। जांच रिपोर्ट के मामले में पहले ही आदेश दिया जा चुका है कि रोगियों की जांच प्राइवेट में करानी हो तो कराएं। इसके साथ ही जो भी संसाधन चाहिए वह बताएं। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. गिरीश वर्मा, एमबीएस अधीक्षक डॉ. पीके तिवारी, वाइस प्रिंसिपल डॉ. विजय सरदाना, डॉ. नरेश राय, मेडिसिन विभाग के एमचओडी डॉ. निर्मल शर्मा सहित कई डॉक्टर्स उपथित थे।

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