.ऐसे आबाद हुआ था टाइगर रिजर्व
रणथंभौर से निकलकर रामगढ़ पहुंचे बाघ टी-91 (अब बाघ-एमटी-1 )को तीन अप्रेल 2018 को मुकुन्दरा में छोड़कर टाइगर रिजर्व को आबद किया था। इसी वर्ष दिसम्बर में रणथंभौर से बाघिन को लाया गया। इसे एमटी-2 क्रमांक दिया। फरवरी2019 में रणथंभौर से निकला बाघ खुद मुकुंदरा हिल्स हिल्स आ पहुंचा। इसे एमटी- 3 क्रमांक दिया गया।
फिर गिरी बिजली
3 अप्रेल 2018 से जून तक ख्ुशियों की बयार के बाद वन्यजीव प्रेमियों की उम्मीदें टूटती गई। टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-4 के जोड़ीदार ने 23 जुलाई को संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया। इसके महज 10 से 12 दिन के अंतराल में 82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाघ एमटी-1 की जोड़ीदार बाधिन एमटी-2 की भी मौत हो गई। 3 अगस्त को इसका शव मिला था। इसका एक शावक गुम हो गया व दूसरा 18 अगस्त को इलाज के दौरान मर गया।बाघिन एमटी-4 के शावक तो सामने ही नहीं आए।
.यही उम्मीद
बाघ एमटी-1 को इसकी जोड़ीदार बाघिन की मौत के बाद देखा गया, लेकिन करीब डेढ़ माह से यह नजर नहीं आ रहा है। इससे बाघिन एमटी-4 भी गत दिनों से बीमार है। इसका अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क में इलाज किया जा रहा है।
प्रे-बेस में वृद्धि,लाएं बाघ
इंटेक के कन्वीनर निखलेश सेठी के अनुसार टाइगर रिजर्व में ग्रासलेंड अच्छा है। पहले बाघिन का ठीक होने आवश्यक है। इसके बाद जिन कारणों से हालात पैदा हुए हैं,वे दूर हों फिर नए सिरे से बाघ लाकर टाइगर रिजर्व को फिर से आबाद करने की आवश्यकता है। यह हमारी उम्मीद है। टाइगर रिजर्व में तीन भागों में तीन जोड़ों को लाकर छोड़ा जा सकता है।
फील्ड डारेक्टर का है कहना
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के फील्ड डारेक्टर एसआर यादव का कहना है कि सबसे पहले वर्तमान समस्याओं को हल करने के प्रयास कर रहे हैं।बाघिन का इलाज किया जा रहा है, यह स्वस्थ हो। अन्य बाघों की शिफ्टिंग की बात है, तो इस मामले में एनटीसीए व उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देश के अनुसार कार्य करेंगे।एनटीए के प्रतिनिधि कुछ दिन पहले यहां का निरीक्षण करके गए हैं, वह प्राधिकरण के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।