मंत्री के फोन पर बज गई एमपी की घंटी…जानिए कैसे
बैठक में मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर एन.पी. कोरी ने पक्ष रखा कि राजस्थान ने मध्यप्रदेश के लिए जो नहरी पानी दिया, उससे अभी तक श्योपुर जिले के हेड क्षेत्र के खेतों में ही पलेवा हुआ है। अनुमान के मुताबिक अभी तक मध्यप्रदेश में एक लाख हैक्टेयर से भी कम खेतों तक पानी पहुंचा है। भिंड-मुरैना क्षेत्र के किसानों को सरसों की फसल के लिए पानी नहीं मिलेगा तो वे बर्बाद हो जाएंगे। ऐसे में सरसों की सिंचाई के लिए पानी पहुंचाना पहली प्राथमिकता है। अगर हम सरसों केलिए उन्हें नहरी पानी नहीं दे सकते तो गेहूं के लिए कहां से दे पाएंगे।
टेल के खेत सूखे, नहीं हो रही सुनवाई
इस पर राजस्थान के चीफ इंजीनियर चौथमल चौधरी ने मध्यप्रदेश को मांग के मुताबिक पानी उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। साथ ही, सहमति बनी कि वर्तमान में दाईं मुख्य नहर से मध्यप्रदेश के लिए पार्वती एक्वाडक्ट पर 2800 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। 10 नवम्बर तक मध्यप्रदेश को इसी क्षमता से पानी देना है। वहीं गांधी सागर से सुबह पानी छोड़ दिया जाएगा। ऐसे में दस नवम्बर के बाद मध्यप्रदेश के लिए जल प्रवाह बढ़ा दिया जाएगा।
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नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान की यहां उड़ायी धज्जीयां, देखें वीडियोबैठक में जल संसाधन विभाग राजस्थान के चीफ इंजीनियर चौथमल चौधरी, जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर केडी सांधू, मध्यप्रदेश-राजस्थान के अंतर राज्यीय बोर्ड के सचिव हेमंत कुमार जैन, मध्यप्रदेश जल नियंत्रण बोर्ड के एक्सईएन नवीन गौड, मुरैना के एसई आर.पी. झा, दाईं मुख्य नहर के एसई जितेंद्र लुहाडिय़ा उपस्थित थे।