रियासतकालीन परंपरा का पालन
राव माधोसिंह ट्रस्ट की ओर से आशुतोष आचार्य ने बताया कि वायु धारणा पूजन की रियासतकालीन परंपरा है। इसके तहत ज्योतिर्विदों की मौजूदगी में प्राचीर पर स्थित दिशा सूचक यंत्र में धर्म ध्वजा लगाकर विधि-विधान से वायु धारणा पूजन किया गया। पूजन कर शुभ मुहूर्त में शाम 7.11 से 7.17 बजे के मध्य वायु के प्रवाह की दिशा को देखा गया। इस दौरान ज्यादातर समय वायु का प्रवाह नैऋत्य से ईशान कोण की तरफ रहा। आचार्य ने बताया कि वायु का इस दिशा में बहना हाड़ौती क्षेत्र में मानसून अच्छा रहने का संकेत देता है। इस वर्ष अच्छी
बारिश होगी। इससे
फसलों की पैदावार अच्छी रहेगी। कुछ क्षेत्रों में वर्षा आवश्यकता से अधिक होने के कारण फसल प्रभावित हो सकती है, लेकिन अधिकतर इलाकों में कृषक वर्ग के लिए यह बारिश अच्छी रहेगी। इससे पहले पूजन में पंडित कुंजबिहारी गौतम, पंडित प्रेमनारायण शास्त्री, पंडित विद्याधर शास्त्री, पंडित राजेश शास्त्री, पंडित पुरुषोत्तम शास्त्री, पंडित प्रहलाद शास्त्री व पंडित राधेश्याम आदि उपस्थित रहे।
अब धान्य परीक्षण
वायु धारणा पूजन के बाद बृजनाथजी मंदिर में धान्य परीक्षण का कार्य किया गया। इसमें शयन आरती के बाद विभिन्न अनाजों की निश्चित मात्रा भगवान के समक्ष रखी गई। अनाजों की इस मात्रा को रविवार को आरती के समय तोलकर फसलों की पैदावार का अनुमान लगाया जाएगा। यह भी एक रियासत कालीन परंपरा है, जिसका पूर्व राज परिवार के सदस्य आज भी निर्वहन कर रहे हैं।