Video: अब कोटा की दिवारें देंगी बेटी बचाने जैसे कईं संदेश, वीडियों में देखिए बदलती शहर की फिजां
इस प्रोजेक्ट के तहत कोटा के लकवे पीडि़त रोगियों की हर जानकारी रखी जाएगी। उसके बाद इस डाटा को केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा वहां हेल्थ केयर प्लानिंग में ये डाटा मददगार साबित होगा। एमबीएस के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विजय सरदाना ने पत्रकारों को बताया कि भारत में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण लकवा है। दो तिहाई मृत्यु लकवे से होती है। जहां विदेशों में लकवे से होने वाली मौत कम हुई हैं वहीं भारत में लकवे से होने वाली मौत का ग्राफ बढ़ा है। तीन साल के इस प्रोजेक्ट में करीब 58 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। प्रतिवर्ष करीब 19 लाख रुपए इस प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे।खुशखबरी: काेटा को मिली महत्वपूर्ण जिम्मेेदारी, राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट में कोटा मेडिकल कॉलेज शामिल
युवाओं को भी हो रहा लकवा डॉ. सरदाना ने बताया कि लकवे के रोगियों में अब 15 प्रतिशत रोगी युवा अवस्था में आ रहे हैं, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत 4 फील्ड वर्कर रखे जाएंगे जो फिल्ड में जाकर लकवा रोगियों के बारे में जानकारी लेंगे। एक डाट ऑपरेटर भी लगाया जाएगा जो पूरा डाटा अपडेट रखेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत लकवे से होने वाली मौत को कम कर लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने का प्रयास किया जाएगा।
हर क्षेत्र में रहेगी मॉनिटरिंग न्यू मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. गिरीश वर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत सभी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, नगर निगम के डेथ सर्टिफिकिट, जांच केन्द्र, मेडिसिन विभाग, सिटी स्केन, आयुर्वेद व गोपाल पुरा माता जी तक के रोगियों सहित कई संस्थान व लोगों से सम्पर्क किया जाएगा। यहां तक की लकवे से होने वाली संभावित मौत के बाद भी उसके घर जाकर परिजनों से पूछताछ की जाएगी और डाटा कलेक्ट किया जाएगा। लकवा पीडि़त की प्रारंभिक अवस्था से लेकर उसकी मौत तक का पूरा हिसाब रखा जाएगा। उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से इस प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी दी।
न्यूरोलॉजी में एमडी की दो सीटें हुई स्थाई प्राचार्य डॉ. वर्मा ने बताया कि न्यू मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग में न्यूरोलॉजी में एमडी की दो सीटें स्थाई कर दी हैं। वहीं अस्थाई रूप से दो एमडी की सीटों के लिए अनुमति मिल गई है, जो आगे जाकर स्थाई जो जाएंगी। अब यहां से चार एमडी न्यूरालॉजी निकलेंगे।