दिन भर भूख प्यास सहकर शाम को रोजा इफतार करेंगे। इस दौरान विशेष इबादत के साथ दुआएं भी की जाएंगी। शुक्रवार को लोगों में रमजान का विशेष उत्साह देखने को मिला। शाबान माह की २९ वी तारीख पर लोग माहे रमजान का चांद देखने के लिए छतों पर जमा हो गए। जैसे ही चांद नजर आया। लोगोंं ने एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। शहर काजी अनवार अहमद ने बताया कि चांद नजर आने के बाद शुक्रवार से तारीवी शुरू हो गई। शनिवार को पहला रोजा रखा जाएगा।
न घर बुलाएं, न किसी के घर जाएं शहर काजी अनवार अहमद ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए घरों पर इबादत की जाएगी। मस्जिदों मंे सिर्फ ४ से पांच लोग ही रहेंगे। शहर काजी ने कहा है कि घरों में भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। रोजा अफ्तार पार्टियों का आयोजन नहीं करें। अनावश्यक रूप से घर से नहीं निकलें। जरूरतमंदों की मदद करें। रोजा इफ्तार में न किसी को बुलाएं न किसी के घर पर जाएं।
एक माह का प्रशिक्षण है रोजा शहर काजी अनवार अहमद ने पत्रिका को बताया कि रमजान एक माह का प्रशिक्षण है। इसमें कड़ा तप करने के बाइ तौहफे के रूप में ईद की खुशियां मिलती है। उन्होंने बताया कि तप संयम व समर्पण वाले इस माह में कोई एेसा कार्य नहीं करें जो किसी भी रूप में गुनाह की श्रेणी में आता तो। बुरा नहीं करें। बुराई के लिए कदम नहीं बढ़े। आंखों बुरा नहीं देखें, किसी की बुराई न तो करें, न ही सुनें। रोजा रखते हुए दूसरों की भलाई करें। दुखियों की सेवा करें। माहे रमजान यही सीख देता है।
बोहरा समाज ने मनाया पहला जुमा
इधर बोहरा समाज के रोजे गुरुवार से शुरू हो गए थे। समाज के लोगो ने शुक्रवार को दूसरा रोजा रखा व जुमे की नमाज भी अदा की। जमात के लोग भी कोरोना संक्रमण के कारण घरों पर ही रमजान माह में नमाज अदा कर रहे हैं।