किसानों की समस्या पर बोले मंत्री: मेरे पास जादू का डंडा नहीं, जाे घुमा दूं
वैसे किसान पहले भी सरकार के कड़वे शब्दों से आहत होते रहे हैं। कुछ माह पहलेे की ही बात है जब लहसुन के कम भावों से निराश किसान आत्महत्या कर रहे थे। तब प्रदेश के मंत्री ने मरहम देने के बजाए घाव को कुरेद दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार ने किसानों को लहसुन बोने के लिए नहीं कहा। कृषि कल्याण का जिम्मा संभाल रहे मंत्री ही जब धरतीपुत्रों के बारे में ऐसे विचार रखेंगे तो फिर आखिर किसान करेगा क्या?सबके लिए अन्न का प्रबंध करने वाला किसान फिलहाल चक्रव्यूह में फंसा हुआ है। लहसुन उपजता है तो भाव नहीं मिलते। सोयाबीन उगाता है तो बारिश नहीं होती। उड़द की अच्छी उपज होती है तो खरीदी पर सरकार इतने नियम लाद देती है कि बेच ही नहीं पाता। बैंकों से कर्ज नहीं मिलता। पुराना कर्ज चुका नहीं पाता। सर्दी में खेतों को पानी देना चाहता है तो बिजली गुल हो जाती है। सरकार को अपनी उपज बेचने के लिए भी उसे सिस्टम को घूस देना पड़ रही है। किसान मंत्री के सामने खुलकर कह रहे हैं कि एक हजार रुपए देते ही राजफैड के अफसर उड़द तो क्या मिट्टी भी खरीदने को तैयार हो जाते हैं।