खानों और स्पलिटिंग यूनिट में दिनभर गूंजने वाली टकटक की आवाज खामोश हो गई है। खानों में दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता है। हाड़ौतीभर की पत्रिका टीम ने सोमवार को लॉकडाउन के दौरान पत्थर की खानों की स्थिति देखी तो पाया कि खानों में सबकुछ बंद है। न मशीनों से पत्थर की तुड़ाई हो रही है, न खानों से पत्थर निकाला जा रहा है। खान मालिकों का कहना है कि लॉकडाउन में जिस तरह का सन्नाटा छाया हुआ है, वैसा तो बारिश में खानें बंद होने पर भी नहीं रहता है। उस वक्त भी इक्का-दुक्का लोगों की आवाजाही बनी रहती है। यही स्थिति पत्थरों की कटाई करने वाली इकाइयों की है। इन इकाइयों में दूसरे दिन भी उत्पादन पूर्णतया बंद रहा।
लटके रहे ताले : कोटा के इन्द्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र में पत्थर इकाइयों पर ताले लटके है। केवल सुरक्षा गार्ड ही नजर आए। रामगंजमंडी, चेचट, सुकेत, सातलखेड़ी, कुम्भकोट, कुदायला, झालरापाटन, डाबी, धनेश्वर में खानों में पूरी तरह उत्पादन ठप रहा है।
मांग ही नहीं रहीं : खान मालिकों व पत्थर उद्यमियों का कहना है कि घरेलू मार्केट से लेकर विदेशी मार्केट में पत्थर की मांग खत्म हो गई है। इस कारण यदि लॉकडाउन 14 को खत्म भी हो जाता है तो दुबारा मांग आने में महीनों लग जाएंगे। इस कारण पत्थर उद्योग को पटरी पर आने में कम से कम दो से तीन माह का समय लगेगा। इसके बाद मानसून शुरू हो जाएगा, इसके चलते पत्थर उद्योग पर कोरोना की लम्बी मार पड़ेगी।
आर.एन. गर्ग, अध्यक्ष, हाड़ौती कोटा स्टोन इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन