महावीर मंगल की रिपोर्ट पर दो पुलिस अधिकारियों से मामले की जांच करवाई गई थी। जांच अधिकारियों ने मुकदमे को साधारण मुकदमा माना था और मामले में सीआई द्वारा लगाई सभी मेडिकल रिपोर्ट भी गलत मानी। परिवादी ने मामला झूठा साबित होने के बाद जयपुर पुलिस मुख्यालय से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय तक में शिकायत की, लेकिन उच्चाधिकारी आरोपी थानेदार को बचाने में लगे हैं। इस मामले में ग्रामीण एसपी करण शर्मा ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। मामला दिखवाकर कार्रवाई करेंगे।
ये था मामला
पीड़ित महावीर मंगल ने बताया कि 23 फरवरी 2023 को वे अपनी पत्नी, बेटे विजय व होने वाली बहू के साथ में श्योपुर से कोटा आ रहे थे। इटावा थाना क्षेत्र में पुलिस ने उन्हें रोक लिया और कार की तलाशी ली। जब उनके बेटे ने सिर्फ इतना कहा कि कार में महिलाएं हैं। आप जल्दी चैक कर लें तो पुलिसकर्मी ने मुझे चांटा मारा। बेटे ने विरोध किया तो झूठा केस बनाकर दोनों को जेल भेज दिया। थाने में हमारे साथ में मारपीट की गई। बेटे की शादी बिगाड़ दी। शादी के कार्ड तक नहीं बंट सके। झूठी मेडिकल रिपोर्ट बनाकर हमारे ऊपर जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज किया। जिसमें हम बाप बेटे को जेल तक जाना पड़ा। बाद में मैंने सूचना के अधिकार के माध्यम सारे सबूत जुटाए और सब जगह शिकायत की। जब तक मुझे इंसाफ नहीं मिलेगा, मैं पुलिस मुख्यालय व अधिकारियों के चक्कर काटता रहूंगा। जिस डॉक्टर ने इनकी फर्जी मेडिकल की रिपोर्ट बनाई थी। उसके खिलाफ भी कार्रवाई करवाउंगा। जांच अधिकारी की रिपोर्ट पर बताई प्राणघातक चोट
मेडिकल रिपोर्ट बनाने वाले डॉ. मदन लाल मीणा ने सीआई की रिपोर्ट पर 1,3 व 5 को साधारण चोट बताया गया। साथ ही चोट नंबर 7 को प्राणघातक माना था। बाद में जांच में दिए गए बयान में उन्होंने बताया कि चोट नंबर सात को उन्होंने जांच अधिकारी एसआई छोटू लाल की रिपोर्ट के अनुसार प्राणघातक माना है।
डिप्टी नेत्रपाल सिंह की जांच रिपोर्ट
साधारण मारपीट का मामला बताया गया है, लेकिन जांच अधिकारी ने अपनी पावर का गलत उपयोग करते हुए इसको प्राणघातक बना दिया। जब घटना स्थल के सीसीटीवी फुटेज की जानकारी ली गई तो सभी कैमरे खराब होना बताया गया। सीआई को मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए।
एएसपी रविन्द्र सिंह की जांच रिपोर्ट :
परिवाद में अंकित तथ्यों की जांच एवं साक्ष्यों के आधार पर परिवादी महावीर प्रसाद के लड़के विजय मंगल के खिलाफ जुर्म धारा 332,333,353 आईपीसी का अपराध प्रमाणित पाया गया है तथा कथित आरोपी परिवादी महावीर प्रसाद का शरीक जुर्म नहीं होना एवं धारा 307,34 आईपीसी का अपराध अप्रमाणित होना पाया गया है।