सिलेंडर बम पर बैठे हैं कोटा कोचिंग होस्टल के स्टूडेंट्स, आग लग जाए तो बचना दूर सांस भी नहीं ले पाएंगे
फायर-सेफ्टी : हॉस्टल के कमरे बेहद छोटे थे। रोशनी और हवा का इंतजाम तो दूर, एक बेड और टेबल डालने के बाद अलमारी रखने तक के लिए जगह नहीं। कमरों में एक भी रोशनदान नहीं। खिड़की अंदर से बंद पड़ी थी। रूम में ब्लेड और चाकू तक रखे हुए थे। संचालक ने बताया कि आग बुझाने का एक भी सिलेंडर नहीं है और न ही पानी की सप्लाई का कोई इंतजाम है। कई बार कहने के बावजूद वे किचन दिखाने को राजी नहीं हुए।सुरक्षा : भाजपा के जिला महामंत्री जगदीश जिंदल के इस हॉस्टल में बायोमेट्रिक अटेंडेंस नहीं होती। वार्डन सुमित्रा ने बताया कि लड़कियां आते-जाते वक्त गेट रजिस्टर में एंट्री करती हैं। रात में जब लड़कियां खाना खाने आती हैं तभी नाइट अटेंडेंस रजिस्टर में एंट्री कर जाती हैं। हालांकि 47 लड़कियों में से सिर्फ 8-10 की ही नाइट अटेंडेंस लगी होने पर वह बगलें झांकने लगीं। हॉस्टल में गार्ड भी नहीं था।
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किचन और सीज फायर : यहां भी किचन और अटैच डाइनिंग हॉल हॉस्टल के बेसमेंट में थे और पूरी तरह पैक। आने-जाने के लिए सिर्फ सीढ़ीयों का संकरा रास्ता। एग्जॉस्ट नहीं था। छह मंजिला हॉस्टल में न तो आग बुझाने वाला सिलेंडर था, न ही पानी की पाइपलाइन और इमरजेंसी एग्जिट। जबकि बेसमेंट में 5 और ग्राउंड फ्लोर पर 3 भरे हुए एलपीजी सिलेंडर रखे थे। वार्डन सुमित्रा ने बताया कि जिंदल या उनकी पत्नी के पास ही हाजिरी रजिस्टर रहते हैं।
सुरक्षा : आशीर्वाद रेजीडेंसी 1/2 के सामने ही नवीन मित्तल का ही यह हॉस्टल है। इसके हालात तो और भी गंभीर थे। गेट पर रखे रजिस्टर में बच्चे खुद आने-जाने की हाजिरी लगाते हैं। बायोमेट्रिक मशीन पर संचालक मित्तल पहले झूठ बोले कि है, फिर कहा कि एक दो दिन में लगवा देंगे। यहां भी बच्चों की नाइट अटेंडेंस नहीं होती।
किचन-अग्निशमन : हॉस्टल में बाहर की तरफ किचन है। अटैच डाइनिंग हॉल। आग बुझाने के इंतजाम यहां भी नहीं। दिखावे के लिए सीसीटीवी कैमरे थे, लेकिन रिकॉर्डिंग और डिस्प्ले प्रबंध नहीं।
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कैसे दे दी एनओसीजिंदगी एक प्राथमिकता फाउंडेशन डायरेक्टर ईशा यादव का कहना है कि जिम्मेदारों के हॉस्टल्स के बेसमेंट में ही किचन चल रहे। 5-6 मंजिला इमारतों में भी आग बुझाने का कोई साधन नहीं। सीसीटीवी कैमरे ठप, नाइट अटेंडेंस नहीं, बायोमेट्रिक मशीन भी नहीं है। ऐसे में बाकी हॉस्टल वाले कानून की पालना क्यों करेंगे। अग्निशमन विभाग, प्रशासन और पुलिस ने इन्हें एनओसी कैसे दे दी, इनके खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर जांच तक नहीं की गई, यह बड़ा सवाल है।