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कोटा के इस हॉस्टल में Students की नहीं फिक्र, यहां चलती है सिर्फ जीजाजी की गाइड लाइन

कोटा. हॉस्टल ऐसोसिएशन्स अध्यक्ष और पदाधिकारी अपने हॉस्टल्स में गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रहे।

कोटाJan 10, 2018 / 05:01 pm

abhishek jain

Balaji Hostel
कोटा .

जिन हॉस्टल ऐसोसिएशन्स के भरोसे प्रशासन 19 प्वाइंट गाइड लाइन की पालना का 9 माह से दांव खेल रहा, उसी के अध्यक्ष और पदाधिकारी अपने हॉस्टल्स में गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रहे। ‘पत्रिका’ टीम ने मंगलवार को इन रसूखदार छात्रावासों को देखा तो स्थितियां विकट थी। हालत ये कि इनके बहुमंजिला छात्रावासों में बच्चों का जीवन दांव पर है। बेसमेंट में किचन, एग्जॉस्ट फैन, न आग बुझाने के इंतजाम। हादसा हो जाए तो बच्चे यहां दो मिनट सांस तक नहीं ले पाएं।
Balaji Hostel
बालाजी हॉस्टल: यहां चलती जीजाजी की गाइड लाइन

सुरक्षा : कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के पदाधिकारी गौरव जैन के रिश्तेदार के इस पांच मंजिला हॉस्टल में भी गेट रजिस्टर में ही लड़कों की हाजिरी होती है। हॉस्टल के मालिक सनी जैन ने बताया कि उन्हें गाइडलाइन की कोई जानकारी नहीं। जीजाजी गौरव जैन ही इस बारे में बता सकते हैं। हॉस्टल में लगे 9 सीसीटीवी कैमरों में से 2 बंद थे। गैलरी में दाखिल होने पर लड़के सिगरेट पीते मिले। सनी ने बताया कि खाना खाने और नाइट अटेंडेंस के लिए कोई रजिस्टर नहीं है।
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फायर-सेफ्टी : हॉस्टल के कमरे बेहद छोटे थे। रोशनी और हवा का इंतजाम तो दूर, एक बेड और टेबल डालने के बाद अलमारी रखने तक के लिए जगह नहीं। कमरों में एक भी रोशनदान नहीं। खिड़की अंदर से बंद पड़ी थी। रूम में ब्लेड और चाकू तक रखे हुए थे। संचालक ने बताया कि आग बुझाने का एक भी सिलेंडर नहीं है और न ही पानी की सप्लाई का कोई इंतजाम है। कई बार कहने के बावजूद वे किचन दिखाने को राजी नहीं हुए।
Tarun Residency
तरूण रेजीडेंसी : सत्ता वालों के यहां कहां अटेंडेंस
सुरक्षा : भाजपा के जिला महामंत्री जगदीश जिंदल के इस हॉस्टल में बायोमेट्रिक अटेंडेंस नहीं होती। वार्डन सुमित्रा ने बताया कि लड़कियां आते-जाते वक्त गेट रजिस्टर में एंट्री करती हैं। रात में जब लड़कियां खाना खाने आती हैं तभी नाइट अटेंडेंस रजिस्टर में एंट्री कर जाती हैं। हालांकि 47 लड़कियों में से सिर्फ 8-10 की ही नाइट अटेंडेंस लगी होने पर वह बगलें झांकने लगीं। हॉस्टल में गार्ड भी नहीं था।
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किचन और सीज फायर : यहां भी किचन और अटैच डाइनिंग हॉल हॉस्टल के बेसमेंट में थे और पूरी तरह पैक। आने-जाने के लिए सिर्फ सीढ़ीयों का संकरा रास्ता। एग्जॉस्ट नहीं था। छह मंजिला हॉस्टल में न तो आग बुझाने वाला सिलेंडर था, न ही पानी की पाइपलाइन और इमरजेंसी एग्जिट। जबकि बेसमेंट में 5 और ग्राउंड फ्लोर पर 3 भरे हुए एलपीजी सिलेंडर रखे थे। वार्डन सुमित्रा ने बताया कि जिंदल या उनकी पत्नी के पास ही हाजिरी रजिस्टर रहते हैं।
Ashirwad Residency
आशीर्वाद रेजीडेंसी -3 : बायोमेट्रिक मशीन पर झूठ और सच
सुरक्षा : आशीर्वाद रेजीडेंसी 1/2 के सामने ही नवीन मित्तल का ही यह हॉस्टल है। इसके हालात तो और भी गंभीर थे। गेट पर रखे रजिस्टर में बच्चे खुद आने-जाने की हाजिरी लगाते हैं। बायोमेट्रिक मशीन पर संचालक मित्तल पहले झूठ बोले कि है, फिर कहा कि एक दो दिन में लगवा देंगे। यहां भी बच्चों की नाइट अटेंडेंस नहीं होती।
किचन-अग्निशमन : हॉस्टल में बाहर की तरफ किचन है। अटैच डाइनिंग हॉल। आग बुझाने के इंतजाम यहां भी नहीं। दिखावे के लिए सीसीटीवी कैमरे थे, लेकिन रिकॉर्डिंग और डिस्प्ले प्रबंध नहीं।
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कैसे दे दी एनओसी
जिंदगी एक प्राथमिकता फाउंडेशन डायरेक्टर ईशा यादव का कहना है कि जिम्मेदारों के हॉस्टल्स के बेसमेंट में ही किचन चल रहे। 5-6 मंजिला इमारतों में भी आग बुझाने का कोई साधन नहीं। सीसीटीवी कैमरे ठप, नाइट अटेंडेंस नहीं, बायोमेट्रिक मशीन भी नहीं है। ऐसे में बाकी हॉस्टल वाले कानून की पालना क्यों करेंगे। अग्निशमन विभाग, प्रशासन और पुलिस ने इन्हें एनओसी कैसे दे दी, इनके खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर जांच तक नहीं की गई, यह बड़ा सवाल है।
प्रशासन को रिपोर्ट भेजी

अग्निशमन अधिकारी राकेश व्यास का कहना है‍ कि अग्निशमन यंत्रों का इंतजाम किए बिना हॉस्टल्स और पीजी का संचालन नहीं किया जा सकता। बेसमेंट में किचन प्रतिबंधित है, आग बुझाने वाले सिलेंडर न होना गंभीर अपराध। ऐसे लोगों की जानकारी जिला प्रशासन को देकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। संयुक्त कमेटी ने पहले भी हॉस्टल्स की जांच की थी। खामियों की रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेज दी है।

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