scriptदो जिलों के सात अस्पतालों ने लौटाया, कोटा के चिकित्सक ने बचाई आंख की रोशनी | Kota doctor sudhir gupta operate patient during curfew | Patrika News
कोटा

दो जिलों के सात अस्पतालों ने लौटाया, कोटा के चिकित्सक ने बचाई आंख की रोशनी

मांडलगढ़ निवासी युवक की आंख में कील घुसने से कॉर्निया और लैंस हो गया था क्षतिग्रस्त, भीलवाड़ा और नीमच के अस्पतालों ने नहीं किया इलाज, कोटा के डॉक्टरों ने मेनाल जाकर किया ऑपरेशन

कोटाMar 27, 2020 / 02:15 am

Kanaram Mundiyar

दो जिलों के सात अस्पतालों ने लौटाया, कोटा के चिकित्सक ने बचाई आंख की रोशनी

दो जिलों के सात अस्पतालों ने लौटाया, कोटा के चिकित्सक ने बचाई आंख की रोशनी

कोटा. कोरोना के कहर में चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई हैं। आंख में कील घुसने के बाद मांडलगढ़ निवासी आबिद मोहम्मद दो राज्यों के दो जिलों के सरकारी और निजी अस्पतालों में भटकता रहा, लेकिन ऑपरेशन करना तो दूर इलाज के लिए अस्पतालों ने दरवाजे तक नहीं खोले। ऐसे में कोटा के चिकित्सकों ने उसे यहां बुलाने के बजाय मेनाल जाकर उसका ऑपरेशन कर न सिर्फ आंख बचाई, बल्कि ऑपरेशन का खर्च और फीस भी नहीं ली।
यह भी पढ़ें
100 डिस्टिलरी और 500 विनिर्माताओं को हैंड सेनेटाइजर्स बनाने की अनुमति

मांडलगढ़ निवासी आबिद मोहम्मद बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं। सोमवार को काम करते समय उनकी आंख में मोटी कील घुस गई और खून बहने लगा। परिचित उसे स्थानीय अस्पताल ले गए, लेकिन चिकित्सकों ने इलाज करने से ही हाथ खड़े कर दिए। बदहवास आबिद भीलवाड़ा के राजकीय चिकित्सालय पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने आंख से कील तो निकाल दी, लेकिन ऑपरेशन करने के बजाय दवाओं का पर्चा थमाकर रवाना कर दिया।
काटते रहे अस्पतालों के चक्कर
आबिद और उनका पूरा परिवार इस मुश्किल हाल में भीलवाड़ा से लेकर चित्तौड़ तक के अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। सरकारी ही नहीं सात निजी अस्पतालों ने भी उनके लिए दरवाजे नहीं खोले। इसी दौरान वे गोमाबाई नेत्र चिकित्सालय नीमच पहुंचे। जहां से उन्हें कोटा जाने को कहा गया, लेकिन कोरोना वायरस की भयावहता को देखते हुए कई चिकित्सकों ने मरीज को कोटा बुलाने से ही पल्ला झाड़ लिया।
Corona Live update : रेलवे कारखाने भी महामारी से लडऩे में करेंगे मदद

खुद पहुंच गए डॉक्टर
बाद में परिचितों ने कोटा के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. सुधीर गुप्ता से संपर्क साधा। डॉ. गुप्ता उस इलाके में नेत्र शिविर लगाते रहते हैं। एेसे में डॉ. गुप्ता ने भीलवाड़ा के मरीज को कोटा बुलाने के बजाए बिजौलिया जाकर ऑपरेशन करने का फैसला किया। वे सपोर्टिंग स्टाफ हर्षाली श्रीवास्तव, सीताराम पंकज, गिर्राज गोचर, जीतू और शाहरुख मिर्जा के साथ बुधवार तड़के ही मैनाल के पास जोगणिया माताजी पहुंच गए, जहां उन्होंने आबिद की आंख का ऑपरेशन कर उसकी रोशनी जाने से बचा ली।
फीस तो दूर खर्च तक नहीं लिया
बड़ी बात यह है कि उन्होंने आबिद से अपनी और स्टाफ की फीस लेना तो दूर ऑपरेशन पर आया खर्च तक नहीं लिया। डॉ. गुप्ता ने बताया कि ऐसे मामले में २४ घंटे के अंदर ऑपरेशन न होने पर आंख की रोशनी जा सकती है, लेकिन खुशी है कि आबिद की आंख बचा ली।

Hindi News / Kota / दो जिलों के सात अस्पतालों ने लौटाया, कोटा के चिकित्सक ने बचाई आंख की रोशनी

ट्रेंडिंग वीडियो