मध्य प्रदेश ने निभाया अपना वादा अब राजस्थान की बारी
उन्होंने कहा कि हर वर्ष 1 से 15 नवम्बर तक मध्यप्रदेश को 2200 क्यूसेक पानी दिया जाता था। फिर इस वर्ष 2800 क्यूसेक पानी क्यों दिया जा रहा है। जबकि नहरें शुरू होने से पूर्व भी एमपी को एक माह तक पानी दिया था। जिसे वहां जलाशयों में स्टोर कर लिया गया। उन्होंने बताया कि सीएडी के अधिकारी हाड़ौती के किसानों का गला घोंट कर मनमर्जी से एमपी से समझौता कर रहे हैं। जिसकी परियोजना समिति के सदस्यों, पदाधिकारियों को सूचना तक नहीं दी जाती।#काला_कानून: कानून के पीछे भ्रष्टाचार समर्थक मंशा, दागियों को बचाने के लिए लाए जनविरोधी अध्यादेश
नहरों की मरम्मत, सफाई के लिए अधिकारियों को छह माह पूर्व चेताया था। इसके बावजूद अधिकारी कुंभकर्णी नींद सोते रहे। अब 1200 क्यूसेक पानी की छीजत हो रही है। सीएडी के अधिकारियों ने हमें इतना गुमराह किया कि गांधी सागर से 28 अक्टूबर को पानी बंद कर दिया। इसके बावजूद अधिकारियों ने हमें सूचना नहीं दी। उप सभापति अशोक नंदवाना ने कहा कि मानसगांव डिस्ट्रीब्यूटरी हैड पर है। वहां भी नहरी पानी नहीं पहुंच रहा। उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक भी लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आए हैं। ऐसे में काडा की बैठक में किसानों के प्रतिनिधि के रूप में परियोजना समिति को भी बुलाया जाना चाहिए। किसानों के साथ हुए धोखे के लिए जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार है।
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बैठक में ये थे मौजूद
बैठक में अब्दुल हमीद गौड़, रामेश्वर नागर, हरीश मीणा, अर्जुन मीणा, भरत मीणा, हरिशंकर मीणा, हरिप्रकाश मीणा, नागाराम गुर्जर, ओम मीणा, कुलदीप सिंह गौड़, बहादुर सिंह, हरिप्रकाश नागर, रामलाल मीणा, रामजीवन मीणा, कल्याण शृंगी मौजूद थे।