यहां नहीं हुई वर्षों से सफाई
बस स्टैंड पर आगार प्रबंधन ने वैसे तो दो शौचालय बना रखे हैं, लेकिन इनमें से एक तो पूरी तरह जर्जर हो चुका है और इसके द्वार पर कंटीली झाडिय़ों का पहरा है। अंदर के हालात तो और भी भयानक है। गंदगी और दुर्गंध के कारण वहां खड़े रहना भी मुश्किल है। जिन्हें देखकर लगता है इनकी वर्षों से सफाई नहीं हुई।
खुले में लघुशंका मजबूरी यात्री लादूराम, दिनेश, अरमान आदि ने बताया कि शौचालय में गंदगी फैली हुई है। जिसकी इतनी दुर्गंध आ रही है कि अंदर घुसने की इच्छा नहीं हो रही। ऐसे में क्या करेंं। बस स्टैंड की चारदीवारी के सहारे ही लघु शंका करना मजबूरी है।
बस स्टैंड पर महिला शौचालय में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है। यहां बने महिला शौचालय के दरवाजा ही नहीं है। इसके अंदर आवारा मवेशी बैठे रहते हैं। वहीं सफाई नहीं होने से गंदला पानी फर्श पर फैला रहता है। महिलाओं को मजबूरी में पास में बने सुलभ कॉम्पलेक्स में लघुशंका के लिए जाना पड़ता है। जहां पर कॉप्लेक्स संचालक द्वारा पांच रुपए सफाई शुल्क लिया जाता है।
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पांच साल से एक ही दर पर है सफाई ठेका बस स्टैंड का सफाई ठेका लेने वाले कालूू लाल ने बताया कि पांच साल से सफाई का ठेका एक ही दर पर चल रहा है। 13000 रुपए महीने में पूरे बस स्टैंड परिसर व शौचालयों की सफाई करनी है। जिसमें रोजाना तीन कर्मचारी लगते हैं। आज के जमाने में 4000 रुपए महीने में कौन 24 घंटे सफाई में लगा रहेगा। यह तो पब्लिक पैलेस है। हर एक घंटे में कचरा गंदगी फैल जाता है। क्या 24 घंटे ही झाड़ू लेकर थोड़े ही घूमता रहूंगा।