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स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक एवं संयुक्त सचिव पवन अरोड़ा ने इस संबंध में सोमवार को आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में कहा है कि पालिका अध्यक्ष आईना महक के खिलाफ पद के दुरुपयोग करने की शिकायत प्राप्त होने पर उस पर लगाए गए आरोपों की प्रारम्भिक जांच करवाई गई। जांच रिपोर्ट में आरोप सिद्ध पाए जाने पर उनका स्पष्टीकरण लिया गया। आईना महक की ओर से दिए गए स्पष्टीकरण का जवाब संतोषप्रद नहीं होने के कारण उनके विरुद्ध न्यायिक जांच करवाए जाने का निर्णय लिया गया है। पालिका अध्यक्ष के निलम्बन की सूचना मिलते ही भाजपा पार्षदों में ख्ुाशी की लहर दौड़ गई है। राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है। फिलहाल पालिका उपाध्यक्ष को कार्य भार सौंपने की चर्चा चल रही है।
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गंभीर आरोप है पालिका अध्यक्ष आईना महक के खिलाफ गंभीर प्रकृति के आरोप है एवं उनका अध्यक्ष पद पर बने रहने से जांच प्रभावित होने की संभावना है। अत : राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के अन्तर्गत नगर पालिका कैथून को अध्यक्ष एवं सदस्य नगर पालिका कैथून के पद से तुरंत प्रभाव से निलम्बित करती है।
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कई मामलों की शिकायत पूर्व पालिका अध्यक्ष योगेन्द्र नंदवाना, प्रतिपक्ष नेता गायत्री शर्मा व कस्बे के लोगों ने पालिका अध्यक्ष की राज्य सरकार को कई शिकायतें की थी। इसमें चेहते लोगों को ठेके दिलाने, शिकायतों के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाने, नगर पालिका से बिना अनुमति के भवन निर्माण करवाना, एक ही रोड पर नियमों को ताक में रखकर दुबारा सीसी रोड बनाने की शिकायतें की गई थी। स्थानीय निकाय विभाग ने भी जांच की थी, इसमें भी दोषी माना गया था।
पालिका अध्यक्ष आईना महक ने कहा कि राजनीतिक द्वेवश्ता के चलते मुझे निलम्बित किया गया है। चुनावी साल में भाजपा कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। जिस मामले में मुझे निलम्बित किया गया है, उसका चार बार निस्तारण हो चुका है। पांचवी बार में निलम्बन किया है। सरकार के फैसले के खिलाफ अदालत में जाऊंगी।