शहराम अमीरी साल 2009 में सऊदी अरब में मुस्लिम धर्मस्थलों के तीर्थाटन के दौरान गायब हो गए थे। वह एक साल बाद ऑनलाइन वीडियो में दिखे जिसे अमरीका में फिल्माया गया था। वह वाशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास में ईरान संबंधों को देखने वाले विभाग में पहुंचे और फिर स्वदेश भेजे जाने की मांग की। तेहरान लौटने पर उनका नायक की तरह स्वागत हुआ था।
अमरीका ने बताया मिलनी थी मोटी रकम अपने साक्षात्कारों में अमीरी ने अपनी इच्छा के खिलाफ सऊदी और अमरीकी जासूसों द्वारा उन्हें रखे जाने का आरोप लगाया, जबकि अमरीकी अधिकारियों ने कहा था कि ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को समझने में उनकी मदद के एवज में उन्हें लाखों डॉलर मिलने वाले थे। उसे उसी हफ्ते फांसी दी गई।
इससे एक साल पहले तेहरान आर्थिक प्रतिबंध हटाए जाने के एवज में अपने यूरेनियम संवर्धन को सीमित करने संबंधी ऐतिहासिक समझौते पर राजी हुआ था। ईरानी न्यायपालिका के प्रवक्ता घोलमहुसैन मोहसेनी एजेही ने बताया कि अमीरी को जासूसी के आरोप में दोषी ठहराया गया, क्योंकि उसने देश की महत्वपूर्ण सूचना दुश्मन को मुहैया कराई। एजेही ने कहा कि अमीरी की गोपनीय सूचना तक पहुंच थी और वह हमारे दुश्मन नंबर एक के संपर्क में था।