कोटा

कारखानों को देना होगा जमीन से खींचे गए पानी का हिसाब, एनजीटी ने पीसीबी को दिए जांच के आदेश

भूगर्भीय जल के औद्योगिक इस्तेमाल का भी अब हिसाब देना होगा। एनजीटी की सख्ती के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आंकड़े जुटाने में जुट गया है।

कोटाNov 19, 2017 / 04:20 pm

​Vineet singh

Industrial units have to take permission to use under ground water

अब भूगर्भीय जल का अंधाधुंध दोहन और कारोबारी इस्तेमाल आसान नहीं होगा। कारखाने के मालिकों को जमीन से खींचे गए पानी की एक-एक बूंद का हिसाब देना होगा। इतना ही नहीं कारखानों में बोरिंग कराने से पहले कारोबारियों को बकायदा केंद्रीय भूजल विभाग से मंजूरी भी लेनी होगी। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की सख्ती के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) इस बाबत आंकड़े तलाशने में जुट गया है।
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600 इकाइयों की जांच हुई शुरू

एनजीटी ने पीसीबी से नलकूपों के जरिए पानी का औद्योगिक उपयोग करने वाले उद्योगों की रिपोर्ट मांगी है। जिसके बाद पीसीबी मुख्यालय से कोटा संभाग में ऐसे 1321 लघु उद्योगों की सूची जारी हुई है, जिनमें जल का औद्योगिक रूप में उपयोग किया जाता है। इस रिपोर्ट के आधार पर पीसीबी के अफसर इन औद्योगिक इकाइयों का स्थलीय निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति पता करने में जुट गए हैं। पीसीबी ने फिलहाल इस सूची में 600 औद्योगिक इकाइयों को जांच के लिए चिन्हित किया है।
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100 लोगों ने ही किया है नकलूप के लिए आवेदन

पीसीबी कोटा के वरिष्ठ क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा बताते हैं कि कोटा संभाग में 100 से अधिक उद्योगों ने नलकूपों की स्वीकृति के लिए ऑनलाइन आवेदन कर रखे हैं, वहीं जयपुर मुख्यालय से 1321 लघु उद्योगों की सूची आई है। इनके संचालन के लिए काम आने वाले पानी के स्रोत की रिपोर्ट तैयार करनी है। इनमें से 600 से अधिक उद्योगों की छंटनी की है, जिनमें औद्योगिक जल उपयोग की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
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क्यों पड़ी जरूरत

देश में वृहद स्तर के उद्योगों में नदियों का पानी औद्योगिक उपयोग में लिया जाता है। लघु औद्योगिक इकाइयों में नलकूप के पानी का उपयोग होता है। केंद्रीय भूजल विभाग ने पिछले वर्ष आदेश जारी किया था कि लघु औद्योगिक इकाइयों में नलकूप खुदवाने से पहले विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है। इसके लिए विभाग ने ऑनलाइन आवेेदन करने की अंतिम तिथि 31 जनवरी निर्धारित की थी, लेकिन कई उद्यमियों ने नलकूप खुदवाने के लिए आवेदन नहीं किया तो बाद में तिथि बढ़ाकर 30 जून और अब 31 दिसम्बर कर दी।

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