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राष्ट्रीय राजमार्ग 27 के पास 3 हैक्टेयर से ज्यादा भूमि राज्य सरकार को गुमराह कर वर्ष 2013 में कॉलोनाइजर को आवंटित की थी। इसकी शिकायत लोकायुक्त को की गई। इसके बाद भूमि की रजिस्ट्री अटक गई, लेकिन आवंटन निरस्त नहीं हुआ। तत्कालीन न्यास सचिव की ओर से राज्य सरकार को भेजे गए पत्र में लिखा था कि न्यास की भूमि मुख्य सड़क के पीछे की ओर है और आवेदक की भूमि से लगते हुए है, जबकि भूमि का भाग मध्य में आ रहा है। इस पत्र के आधार पर ही राज्य सरकार ने आवंटन की अनुमति दी थी।
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सो रहे न्यास अधिकारी
नगरीय सीमा के पास राजस्व गांव कंवरपुरा में बिना ले-आउट प्लान पास कराए सरकार से आवंटित भूमि पर कॉलोनी काटने की जानकारी न्यास को होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। न्यास अधिकारी सो रहे हैं और सरकारी भूमि बेची जा रही है। कॉलोनाइजर ने केवल आवंटन पत्र के आधार पर ही कॉलोनी काटकर भूखंड बेच दिए। न्यास से ले-आउट प्लान पास नहीं होने के कारण इस कॉलोनी के भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं हो सकती।
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न्यास निजी बिल्डर्स के भरोसे
राज्य सरकार की योजना के लक्ष्य पूरे करने के लिए खुद जमीन होते हुए भी न्यास लक्ष्यों को पूरे करने के लिए निजी बिल्डर्स के भरोसे है। निजी विकासकर्ताओं के माध्यम से न्यास शहर में करीब 3 हजार 91 आवासों का निर्माण कर रहा है।
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नहीं कराया भू उपयोग परिवर्तनराज्य सरकार ने सितम्बर 2013 में निजी कॉलोनाइजर को 3.3 हैक्टेयर भूमि आवंटित करने की स्वीकृति जारी की थी। इसके बाद न्यास ने 13 दिसम्बर 2013 को पत्र जारी कर 39 लाख 84 हजार 374 रुपए जमा कराने के लिए पत्र लिखा। उस समय यह भूमि परिधि नियंत्रण की सीमा में थी, इसलिए राज्य सरकार की ओर से न्यास को जारी पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि आवंटित भूमि मास्टर प्लान में परिधि नियंत्रण पट्टी में है। इसलिए प्रस्तावित आवासीय उपयोग के लिए भू उपयोग परिवर्तन उच्च न्यायालय के अध्यधीन कराने के बाद भी आवंटन की स्वीकृति दी जाती है। इसके बाद भी बिना भू उपयोग परिवर्तन कराए और ले-आउट पास कराए कॉलोनी काटी और भूखंड बेच दिए।
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यह है मामला
डायमंड टाउनशिप खसरा संख्या 25, 26, 27, 29, 30, 31 और 17 से 24 तक पर विकसित की जा रही है। इस भूमि में राज्य सरकार से आवंटित भूमि भी शामिल है। राज्य सरकार ने सितम्बर 2013 में कौशल कुमार मीणा को 3.3 हैक्टेयर भूमि आवंटित करने की स्वीकृति जारी की थी। खसरा नम्बर 17 से 24 की भूमि कॉलोनाइजर को सरकार ने आवंटित की थी। इसके अलावा इस योजना की 28 और 42 नम्बर खसरा भी न्यास ने आवंटित की है। इसके बाद न्यास ने दिसम्बर 2013 में आवंटी को पत्र जारी कर 39 लाख 84 हजार 374 रुपए जमा कराने के लिए पत्र लिखा।
यूआईटी अध्यक्ष आर.के. मेहता ने बताया कि यह मामला लोकायुक्त के यहां विचाराधीन है। कुछ दिन पहले नगरीय विकास विभाग ने जानकारी मांगी थी, जो भिजवा दी है। राज्य सरकार के स्तर पर आगामी कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।