केवीके में एक माह से चल रहा खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण शिविर में सुल्तानपुर, रायपुरा, गांवड़ी, झालावाड़, धूमरखेड़ी, खानपुर, बून्दी, नागौर, मांगलोद आदि जगहों के 25 ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट प्रशिणार्थियों ने भाग लिया। इनमें कई 10, 12वीं, ग्रेजुएट है तो कई एमटेक, पीएचडी, पोस्ट गेजुएट डिग्रीधारी युवक, युवतियां शामिल हैं।
परियोजना प्रभारी प्रो. ममता तिवारी ने बताया कि प्रशिक्षणार्थियों को आंवला के 14, सोयाबीन के 12, लहसुन के 6 उत्पाद बनाना, टमाटर की चटनी, सॉस पाउडर, पेस्ट प्यूरी, फ्रूट जैम, पाईन एप्पल स्लाईस, मुरब्बा, अदरक केण्डी, गुलाब खस, पाईन एप्पल, नींबू स्क्वेश, वेफर्स आदि 60 प्रकार के उत्पाद बनाना सिखाया। तकनीकी सहायक गुंजन सनाढ्य ने बताया कि सैद्धांतिक तौर पर प्रोजेक्ट बनाना, स्वरोजगार के लिए प्रसंस्करण इकाई स्थापित करना, खाद्य प्रसंस्करण के लिए आवश्यक मशीनें, लेवलिंग पैकेजिंग, लोन प्रक्रिया, सरकारी योजनाओं, सब्सिडी की जानकारी दी गई।
कृषि आधारित उद्योग को बढ़ावा देना उद्देश्य समापन समारोह में अतिथि रहे विवि के प्रसार शिक्षा निदेशक केएम गौतम ने कहा कि युवाओं को कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना कराना व उनमें कौशल विकास करना प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है। प्रशिक्षणार्थियों ने भी स्वरोजगार शुरू करने की मंशा जाहिर की। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. महेन्द्र सिंह, प्रसार शिक्षा सहायक निदेशक डॉ. एनएन त्रिपाठी ने कहा कि युवाओं को शिक्षा को गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए कौशल विकास आवश्यक है। संचालन प्रसार शिक्षा वैज्ञानिक डॉ. मुकेश गोयल ने किया।