फालना से आई कवयित्री कविता किरण ने नए सांचे में ढलना चाहती हूं, नियम सारे बदलना चाहती हूं, इरादों की अडिग चट्टान बनकर हवा का रुख बदलना चाहती हूं…सुनाई। इंदौर से आए कवि चेतन चर्चित ने सब्र के बांध को कड़ा होना पड़ा, जिम्मेदारी ली और खड़ा होना पड़ा…सुनाई। ब्यावर से आए श्याम अंगारा ने हर नाता छोटा है सबसे बड़ा देश का नाता…सुनाकर देश के वर्तमान हालात पर ध्यान खींचा। देर रात तक दशहरा मैदान की दर्शक दीर्घा तालियों से गूंजती रही।
इससे पहले रात करीब पौने 10 बजे कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, कांग्रेस प्रदेश कमेटी के महासचिव पंकज मेहता, सांगोद के पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कवयित्री डॉ. रचना तिवारी ने मां सरस्वती वंदना से सम्मेलन की शुरुआत की।
ये रहे मौजूद
कवि सम्मेलन से पहले विजयश्री मंच पर महापौर महेश विजय, मेला समिति अध्यक्ष राममोहन मित्रा, नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका, मेला अधिकारी कीर्ति राठौड़, मेला समिति सदस्य रमेश चतुर्वेदी, महेश गौतम लल्ली, नरेंद्रसिंह हाड़ा, भगवानस्वरूप गौतम, दौलतराम मेघवाल आदि ने अतिथियों व कवियों का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया।