न्यास ने 2013 में कांग्रेस के शासन के समय 4 से 4.50 लाख रुपए में कार बाजार में दुकानदारों को दुकानें देने की योजना बनाई। उस समय दुकानदारों से 40 हजार रुपए पंजीयन राशि शुल्क जमा करा ली। बुकिंग के बाद लॉटरी निकाल नम्बर भी जारी कर दिए। लेकिन कांग्रेस शासन के बदलते ही यह योजना अटक गई। बाद में भाजपा शासन में न्यास ने दुकानों के आवंटन के लिए दुकानदारों को 5 लाख 10 हजार का डिमांड नोट जारी कर दिया।
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न्यास ने यह राशि जमा कराने के लिए पहले 30 दिन तथा बाद में बढ़ाकर 90 दिन कर दिया। बावजूद किसी भी दुकानदार ने खरीदने में रुचि नहीं दिखाई। इसी बीच उक्त मामला न्यायालय में चला गया। लेकिन बाद में न्यास अध्यक्ष के आश्वासन के बाद कार बाजार यूनियन ने मामला वापस ले लिया। अब न्यास ने करीब दो माह पहले कार बाजार की 236 दुकानों के आवंटन निरस्त कर दिए। इनके नोटिस दुकानदारों को भिजवा दिए हैं।
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ऑल इंडिया कार बाजार संघ के अध्यक्ष आर.एस. डल ने बताया कि न्यास ने जिस राशि में दुकानें देने का वादा किया था, उसे पूरा करना चाहिए। बिना पेनल्टी दुकानदारों को दुकानें देनी चाहिए। न्यास कमर्शिलय राशि पेनल्टी पर अड़ा है। कुछ दुकानदार तो ऐसे भी हैं जिनकी दुकानें बनी नहीं, उन्हें भी निरस्त के नोटिस जारी किए।
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नगर विकास न्यास अध्यक्ष रामकुमार मेहता ने कहा, न्यास जिस राशि में दुकानें दे रहा है, उस राशि में दुकानदार खरीदने को तैयार नहीं। इस कारण अब होलसेल दवा विक्रेताओं को दुकानें देने के तैयारी है। इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भिजवाया है।
भिजवाए प्रस्ताव
इस बीच न्यास के पास होलसेल दवा विक्रेताओं की अनुशंसा चली गई। न्यास अब इन दुकानों को होलसेल दवा विक्रेताओं को देने की तैयारी में है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भिजवा दिया है। अनुमति मिलने के बाद होलसेल दवा विक्रेताओं को दुकानें आवंटित की जाएंगी।