कोटा चिड़ियाघर के डॉ अखिलेश पांडेय ने बताया कि लाडपुरा रेंज से एक घायल मोर को कोटा लाया गया था। चोट लगने से मोर की आंख के पास बड़ी गांठ हो गई थी। गांठ इतनी भारी हो चुकी थी कि मोर गर्दन भी नहीं उठा पा रहा था। दर्द के कारण दाना पानी खाने में भी दिक्कत आ रही थी। कोटा जू के डॉक्टरों ने तय किया कि मोर का ऑपरेशन कर इस गांठ को निकाला जाए, लेकिन समस्या यह थी कि गांठ किस तरह की है और कैसे बनी है इसकी जानकारी नहीं थी। मोर की जान बचाने के लिए डॉ. पांडेय और डॉ गणेश नारायण ने नंदकिशोर वर्मा समेत तीन सदस्यीय चिकित्सकों ने ऑपरेशन किया।
ऑपरेशन कर निकाली 70 ग्राम वजनी गांठ चिकित्सकों की टीम ने मोर को अचेत कर उसका ऑपरेशन किया और 70 ग्राम वजनी गांठ निकाली। पूरा ऑपरेशन 50 मिनट तक चला। मोर अब स्वस्थ है। इसे दवा दी जा रही है। ऑपरेशन होने के बाद इसने दाना भी खाया है। डॉ अखिलेश ने बताया कि इस तरह की बीमारी वाले मोर पहले में भी आए है, लेकिन अक्सर इस स्थिति में आए कि ऑपरेशन करना मुश्किल हो गया। गर्दन और आसपास इस तरह की गांठ होने पर मोर दाना भी नहीं खा सकता। इससे वह कमजोर भी हो जाता है और दम तोड़ देता है।
अभी चल रहा है इलाज लाडपुरा रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी दाता राम ने बताया कि मोर के घायल होने की सूचना पर आरकेपुरम क्षेत्र से सोमवार को उसे कोटा जू लाया गया था। इसकी स्थिति को देखते हुए इसका इलाज करवाया है। ऑपरेशन के बाद इसे लाडपुरा रेंज में रखवाया गया है। इसकी देखरेख के लिए कर्मचारियों को पाबंद किया है। मोर के घाव पर हर आठ घंटे में दवा लगाई जानी है। दो से तीन दिन में मोर को और आराम आ जाएगा। इसके बाद इसे खुले में छोड़ दिया जाएगा।