प्रदर्शनकारियों में देवा गुर्जर की पत्नी, मां, बहन समेत परिजन और महिलाएं भी बोराबास से शामिल होने पहुंची थी। हिरासत में लिए लोगों को छुड़ाने वह थाने पहुंची और जान देने की धमकी दी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और एसडीएम ने करीब आधा घंटा थाना परिसर में उनसे समझाइश की।
प्रदर्शन को लेकर उपखण्ड मजिस्ट्रेट कैलाश चंद्र गुर्जर को धर्मराज के हस्ताक्षर समेत दो दर्जन लोगों ने 1 जनवरी को प्रदर्शन की अनुमति का पत्र सौंपा था, लेकिन कानून व्यवस्था को देखते हुए प्रशासन ने अनुमति नहीं दी।
देवा गुर्जर पर 4 अप्रेल 22 को दो दर्जन हथियारबंद हमलावरों ने हमला कर दिया था। कोटा में उपचार के दौरान देवा ने दम तोड़ दिया था। 5 अप्रेल को कोटा मोर्चरी के बाहर खूब बवाल हुआ। बोराबास में एक रोडवेज बस में आग लगा दी गई थी। 7 अप्रेल को पुलिस महानिदेशक एसओजी अशोक राठौड़ ने कोटा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लीव रिजर्व पारस जैन के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया। एसआइटी ने त्वरित कार्यवाही करते हुए हत्या के मुख्य आरोपी बाबू गुर्जर, सह आरोपी भेरू गुर्जर समेत 26 आरोपियों को चेचट के समीप जंगल और कनवास से गिरफ्तार किया। सभी आरोपियों को न्यायालय ने बेगूं जेल भेज दिया। अभी सभी आरोपी अजमेर जेल में बंद है।