मुश्किल से मिल रही बिल्डर मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि बजरी खनन पर रोक के बाद शहर में 80 फीसदी निर्माण कार्य ठप हो गए। 20 फीसदी छोटे निर्माण कार्यों में 10 फीसदी बजरी व 10 फीसदी क्रॅशर डस्ट काम में ली जा रही है। क्रॅशर डस्ट का निर्माण में उपयोग होने से दामों में भी तेजी आ गई। जो डस्ट पहले 10-12 रुपए फीट में आसानी से मिलती थी, वह आज 20 रुपए फीट में भी मिलना मुश्किल है।
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बजरी के दाम दोगुने बजरी के थोक सप्लायर लोकेश जैन ने बताया कि रोक के बाद हाड़ौती में चल रहे सरकारी निर्माण कार्य, बिल्डिंग वक्र्स, बड़े प्रोजेक्ट बंद हो गए। बजरी के दाम दोगुने हो गए। पहले थोक में बजरी 18-20, रिटेल में 24-28 रुपए फीट में आसानी से मिल जाती थी। अब दाम बढ़कर थोक में 48-50, रिटेल में 60-65 रुपए फीट हो गए।
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रोज 50 गाड़ी आ रही कोटा में रोजाना टोंक से 50 गाड़ी बजरी का अवैध रूप से परिवहन हो रहा है। बडग़़ांव टोल नाके के पास व लालसोट मेगा हाइवे पर केशवरायपाटन तक रातभर बजरी भरे ट्रक खड़़े रहते हैं। इस मार्ग पर परिवहन विभाग की चेकपोस्ट भी है। इसके बावजूद कोई लगाम नहीं है। वहां से बजरी भरे ट्रक सीधे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित बजरी मंडियों में खाली हो जाते हैं।
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महत्वपूर्ण निर्माण में उपयोगी नहीं सिविल इंजीनियर अजय बाकलीवाल ने बताया कि सामान्य निर्माण कार्य में तो क्रॅशर डस्ट का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन मकान की छत डालने, बीम खड़े करने आदि महत्वपूर्ण निर्माण कार्य में क्रेशर डस्ट का उपयोग जोखिम भरा है। बजरी का ‘सीवी एनॉलिसिस कर उपयोग करना चाहिए। इसमें 7 छलनी में बजरी की छनाई की जाती है। एक से 4 नम्बर की छलनी तक की बजरी को तो निर्माण कार्यों में उपयोग कर सकते हैं, लेकिन 5 से 7 नम्बर की छलनी में आई डस्ट का उपयोग महत्वपूर्ण निर्माण कार्यों में जोखिम भरा होता है।