घर पर न महावीर मिला, न ही हुकमचंद। यह सूचना मिलते ही वह आया और थाने में गुमशुदगी दर्ज करवाई। 22 सितम्बर को सुबह फोरलेन के पास गड्ढे में हुकमचंद का शव मिला। उसका मुंह बोरे में बंद था। उसके हाथ-पैर व शरीर के अन्य हिस्सों में गम्भीर चोट थी। गिर्राज ने रिपोर्ट में कहा कि महावीर मीणा ने हुकमचंद से रुपए उधार ले रखे थे। वह रुपए लेने ही उसके घर गया था। उसे शक है कि महावीर मीणा, उसकी पत्नी रामजानकी व पड़ोसी कालूलाल उर्फ लक्ष्मण ने ही उसके भतीजे हुकमचंद की हत्या की है।
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सबूत मिटाने के लिए उसके शव को बोरे में बंद कर फोरलेन के पास गड्ढे में फेंक दिया। इस पर पुलिस ने तीनों के खिलाफ हत्या कर सबूत मिटाने का मुकदमा दर्ज किया था। तीनों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ चालान पेश किया। अपर लोक अभियोजक हरीश शर्मा ने बताया कि एडीजे क्रम दो अदालत ने हुकमचंद की हत्या का दोषी पाए जाने पर रोजड़ी निवासी महावीर मीणा, उसकी पत्नी रामजानकी व पड़ोसी कालूलाल को उम्रकैद की सजा से दंडित किया है। साथ ही, प्रत्येक पर एक लाख दस हजार रुपए जुर्माना भी किया है।
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मंदिर में तबाही, सदियों पुरानी मूर्तियां तोड़ी…देखिए तस्वीरों मेंसजा के बाद रोती रही महिला कालूलाल और रामजानकी तो जमानत पर बाहर थे, जबकि महावीर मीणा जेल में था। फैसले में उम्रकैद सुनते ही रामजानकी का रो-रोकर बुरा हाल था। वह अदालत से बैरक तक पूरे समय रोती रही। वहीं कालूलाल की मां भी अपने बुढ़ापे की दुहाई देते हुए रोती रही।