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कोटा

हत्या करते वक्त नहीं कांपा कलेजा, सजा सुनते ही दहाड़े मार कर रो उठी

साढ़े चार साल पहले एक युवक की हत्या कर शव फोरलेन पर फेंकने के मामले में अदालत ने दम्पती समेत तीन हत्यारों को उम्रकैद की सजा से दंडित किया।

कोटाFeb 01, 2018 / 12:02 pm

​Zuber Khan

Murder
कोटा . आरकेपुरम थाना क्षेत्र में करीब साढ़े चार साल पहले एक युवक की हत्या कर शव फोरलेन पर फेंकने के मामले में अदालत ने बुधवार को दम्पती समेत तीन हत्यारों को उम्रकैद की सजा और प्रत्येक को एक लाख दस हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया है।
झालावाड़ जिले के रामपुरा निवासी गिर्राज मीणा ने 22 सितम्बर 2013 को आरकेपुरम थाने में रिपोर्ट दी थी। इसमें कहा था कि तबीयत खराब होने से उसका भतीजा हुकमचंद मीणा 19 सितम्बर को डॉक्टर को दिखाने उसके साथ कोटा आया था। यहां तलवंडी निवासी डॉक्टर को दिखाने के बाद उसने संजय नगर में रामस्वरूप मीणा के पास जाने की इच्छा जाहिर की। वहां से रोजड़ी निवासी महावीर मीणा के घर जाने को कहा था। इसके बाद वह वापस गांव लौट गया। शाम को रामस्वरूप हुकमचंद को रोजड़ी में महावीर के घर छोड़कर आया था, लेकिन जब अगले दिन भी हुकमचंद नहीं आया तो वह उसे लेने महावीर के घर गया।
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घर पर न महावीर मिला, न ही हुकमचंद। यह सूचना मिलते ही वह आया और थाने में गुमशुदगी दर्ज करवाई। 22 सितम्बर को सुबह फोरलेन के पास गड्ढे में हुकमचंद का शव मिला। उसका मुंह बोरे में बंद था। उसके हाथ-पैर व शरीर के अन्य हिस्सों में गम्भीर चोट थी। गिर्राज ने रिपोर्ट में कहा कि महावीर मीणा ने हुकमचंद से रुपए उधार ले रखे थे। वह रुपए लेने ही उसके घर गया था। उसे शक है कि महावीर मीणा, उसकी पत्नी रामजानकी व पड़ोसी कालूलाल उर्फ लक्ष्मण ने ही उसके भतीजे हुकमचंद की हत्या की है।
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सबूत मिटाने के लिए उसके शव को बोरे में बंद कर फोरलेन के पास गड्ढे में फेंक दिया। इस पर पुलिस ने तीनों के खिलाफ हत्या कर सबूत मिटाने का मुकदमा दर्ज किया था। तीनों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ चालान पेश किया। अपर लोक अभियोजक हरीश शर्मा ने बताया कि एडीजे क्रम दो अदालत ने हुकमचंद की हत्या का दोषी पाए जाने पर रोजड़ी निवासी महावीर मीणा, उसकी पत्नी रामजानकी व पड़ोसी कालूलाल को उम्रकैद की सजा से दंडित किया है। साथ ही, प्रत्येक पर एक लाख दस हजार रुपए जुर्माना भी किया है।
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सजा के बाद रोती रही महिला

कालूलाल और रामजानकी तो जमानत पर बाहर थे, जबकि महावीर मीणा जेल में था। फैसले में उम्रकैद सुनते ही रामजानकी का रो-रोकर बुरा हाल था। वह अदालत से बैरक तक पूरे समय रोती रही। वहीं कालूलाल की मां भी अपने बुढ़ापे की दुहाई देते हुए रोती रही।

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