इस बीमारी को ओकसिपीटल एनकेफेलोसील कहते हैं। ऐसे केस दुर्लभ होते हैं। पांच हजार बच्चों में ऐसा एक केस रिपोर्ट होता है। ऐसे मरीजों का ऑपरेशन प्रोन पॉजिशन में किया जाता है। Medical College Neurosurgery
दो निश्चेतना विशेषज्ञों की मदद से ऑफ द टेबल टेक्निक से मरीज में सांस की नली डाली गई। इससे मरीज के फेफड़े, पेट व आंखों पर दबाव बढ़ जाता है। इससे कृत्रिम सांस देने में परेशानी आती है। गांठ बड़ी होने की वजह से इंट्राक्रेनियल प्रेशर बहुत ज्यादा बड़ा हुआ था। इसलिए सबसे पहले ऑपरेशन (Rare NeuroSurgery) में बच्चे के दिमाग का प्रेशर कम करने के लिए वीपी शंट किया गया। उसके तुरंत बाद दूसरा ऑपरेशन कर उसे उल्टा कर गांठ निकाली गई। ऑपरेशन में सहायक आचार्य डॉ. पीयूष कुमार व बनेश जैन का सहयोग रहा। मरीज अभी पूर्णतया स्वस्थ है।
निश्चेतना विभाग के सह आचार्य डॉ. मनोज सिंघल व सहायक आचार्य सीमा मीणा ने बताया कि बच्चे को ऑफ टेबल टेक्निक के जरिए गले में नली डालकर बेहोशी करने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया। इतने छोटे बच्चे में ऑपरेशन के दौरान तापमान, फ्लूड व बेहोशी दवाओं को मैंटेंन करना बहुत मुश्किल कार्य रहता है।