scriptअलख जगाने को सड़कों पर तड़के निकल पड़ता है स्वच्छता दूत | Cleanliness messenger goes out on the streets in the early hours to wa | Patrika News
कोटा

अलख जगाने को सड़कों पर तड़के निकल पड़ता है स्वच्छता दूत

नई पीढ़ी को स्वच्छता के प्रति जागरुक करना है उद्देश्य

कोटाJun 03, 2021 / 10:22 am

Ranjeet singh solanki

अलख जगाने को सड़कों पर तड़के निकल पड़ता है स्वच्छता दूत

अलख जगाने को सड़कों पर तड़के निकल पड़ता है स्वच्छता दूत

झालावाड़ । सूरज की पहली किरण निकलने से पहले वह स्वच्छता की अलख जगाने के लिए सड़कों पर निकल पड़ता है। सर्दी, गर्मी, बारिश कैसा भी मौसम हो वह तड़के सड़कों पर सफाई करता दिख जाएगा। यह स्वच्छता ब्राण्ड एम्बेसेडर की भूमिका निभा रहा है। ऐसे झालावाड़ जिले की ग्राम पंचायत पिपलाज के स्वच्छता दूत से रूबरू करवा रहे हैं। पिपलाज गांव के निवासी 47 वर्षीय गोविंद जांगिड़ की हर रोज दिनचर्या नि:स्वार्थ सेवा के जरिए स्वच्छता के साथ होती है। अलसुबह 3 बजे उठकर 4 बजे तक प्रतिदिन गांव के सड़क मार्गो गलियारों की साफ -सफाई का कार्य जुनून के साथ करते है सड़क मार्गो के गड्डे हो इन को ठीक करते है इस तरह सेवा का कार्य करीब 8 वर्षो से चल रहा है। गोविंद के इस जज्बे को क्षेत्र के सभी लोग सम्मान करते है। गोविंद जांगिड़ गांव में ही निजी विद्यालय का संचालन करते है। गांव की जनसंख्या करीब 5000 के करीब होगी। गांव के 90 प्रतिशत लोग स्वच्छता का महत्व नही समझते कूडा.कचरा मुख्य सड़क, गलियारों पर खुले में फेंक देते है। ऐसे में खुले रहने वाले पशु इसमें मुंह मारते रहते है। स्वच्छता का कार्य गांव में ही नही बल्कि क्षेत्र के तीन बड़े धार्मिक स्थल क्रमश: मंगलवार को 20 किलोमीटर दूर श्रीकल्लाजी महाराज अकावद खुर्द शुक्रवार को करीब 22 किलोमीटर दूर झाड़ोता के देवनारायण मंदिर शनिवार को बारापाटी दातासाह इन धार्मिक स्थलों पर सैकड़ो की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते है ऐसे में वहां गंदगी के ढेर लग जाते है । वह वहां पहुंचकर सफाई कार्य में जुट जाता है। स्वच्छता के प्रति ऐसाा जूनून है कि स्वास्थ्य खराब होने पर भी अपने मिशन से पीछ़े नहीं हटते हैं। जांगिड़ ने बताया की कभी.कभार तो ऐसा कार्य करते हुए घृणा होने लगती है, लेकिन मुझे पता चला की धीरे-धीरे लोगों में जाग्रति आने लगी है तो उनको नमन करने का मन करता है धार्मिक स्थलों पर प्रेरणा से अब स्वच्छता नजर आने लगी है।जांगिड़ का कहना है कि धरती हमारी मां है। इसका अन्न जल ग्रहण करते है हमारे लिए स्वर्ग से भी बढ़कर है । हमे भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छ पृथ्वी छोड़कर जाना है साफ. सफई का कार्य तब तक करता रहूंगा जब तो लोग स्वच्छता का महत्व नहीं समझने लग जाए। यह सेवा कार्य कई सालों से चल रहा है। अलसुबह साफ. सफ ाई के बाद 5 बजे योग करने के उसके बाद गांव के आस-पास के मंदिरों के पास पक्षियों के लिए दाना-पानी का बंदोबस्त किया जाता है। श्वानों व गायों के लिए रोटी का प्रबंधन किया जाता है। जब तक 500 जीव .जंतुओं को भोजन नही करा देता तब तक मैं अन्न जल ग्रहण नहीं करते हैं। यह कार्य को करीब 15 वर्षों से लगातार करते आ रहे हैं। बारिश में प्रतिवर्ष करीब 100 पौधों लगाकर पौधारोपण के लिए लोगों को जागरुक करते हैं। गोविंद की बेटी वंदना कहती है कि मैं देखती हूं ,मेरे पापा सूर्योदय होने से पहले इतना काम कर लेते है व्यक्ति जितना दिनभर में करता है सारे कार्य नि:स्वार्थ परमार्थ के लिए करते है । 5 बजे योग करने के उसके बाद गांव के आस-पास के मंदिरों के पास पक्षियों के लिए दाना-पानी का बंदोबस्त किया जाता है। श्वानों व गायों के लिए रोटी का प्रबंधन किया जाता है। जब तक 500 जीव .जंतुओं को भोजन नही करा देता तब तक मैं अन्न जल ग्रहण नहीं करते हैं। यह कार्य को करीब 15 वर्षों से लगातार करते आ रहे हैं। बारिश में प्रतिवर्ष करीब 100 पौधों लगाकर पौधारोपण के लिए लोगों को जागरुक करते हैं। गोविंद की बेटी वंदना कहती है कि मैं देखती हूं ,मेरे पापा सूर्योदय होने से पहले इतना काम कर लेते है व्यक्ति जितना दिनभर में करता है सारे कार्य नि:स्वार्थ परमार्थ के लिए करते है।

Hindi News / Kota / अलख जगाने को सड़कों पर तड़के निकल पड़ता है स्वच्छता दूत

ट्रेंडिंग वीडियो