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अब भी गिर रहे 22 गंदे नाले
शहर के विभिन्न इलाकों में 22 गंदे नाले अब भी चम्बल को प्रदूषित कर रहे हैं। साजीदेहड़ा, गोदावरी धाम, अधरशिला नाला, नयापुरा मुक्तिधाम नाला, खेड़ली फाटक नाला, सकतपुरा, हनुमानगढ़ी, बालापुरा, कुन्हाड़ी चम्बल पुलिया, खाई रोड, रामपुरा सेटेलाइट के पीछे, प्रताप कॉलोनी स्टेशन सहित कई मुख्य नाले आज भी इसमें गिर रहे हैं।
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28 एमएलडी ही हो रहा साफ
प्रोजेक्ट के तहत बहुत ही कम नालों को जोड़ा गया। शहर के दूषित पानी को शुद्ध करने के लिए 500 एमएलडी क्षमता के प्लांट की आवश्यकता है, जबकि 56 एमएलडी क्षमता के ही प्लांट लग पाए हैं। इन प्लांट में भी 28 एमएलडी दूषित पानी ही साफ हो रहा है। बालिता में स्थापित प्लांट का काम आधा-अधूरा है। किशोरपुरा ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से कम पानी ही साफ हो रहा। धाकडख़ेड़ी प्लांट में भी पूरी क्षमता से कार्य नहीं हो रहा।
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एक साल से पड़ा मलवा
एक साल से चम्बल नदी में नयापुरा में मलबा व पत्थर पड़े हैं। लोगों का कहना है कि नयापुरा चम्बल पुलिया के निर्माण के बाद ठेका कंपनी ने मलवा चम्बल में ही छोड़ दिया। इसे हटाने की मांग जनसुनवाई में भी राष्ट्रीय प्रताप फाउंडेशन के राजेन्द्र सुमन ने कई बार की। चार बार जिला कलक्टर को भी परिवाद दिया।- केन्द्र सरकार का हिस्सा – 104.71 करोड़- धाकडख़ेड़ी – 16.65 करोड़ लेकिन यूआईटी का कहना है कि मलबा पुलिया निर्माण से पहले का है।
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यूआईटी चेयरमैन आरके मेहता ने बताया कि यूआईटी का जो कार्य था वह पूर्व में ही पूरा हो गया। चम्बल में नालों को गिरने से रोकने के लिए राज्य सरकार को प्रोपजल भेजा है।
– 33.55 करोड़ खर्च साजीदेहड़ा 30 एमएलडी प्लांट पर