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कोटा

बूंदी सीएमएचओ के खिलाफ रिश्वत की मांग का प्रकरण दर्ज

टोंक सीएमएचओ रहते संविदाकर्मी की तनख्वाह के बदले मांगी थी 50 हजार की रिश्वत

कोटाOct 25, 2018 / 05:02 pm

Deepak Sharma

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kota against CMHO

कोटा. एसीबी कोटा ने बुधवार को बूंदी सीएमएचओ के खिलाफ टोंक के एक संविदाकर्मी के करीब दस माह का वेतन देने के मामले में 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगने का मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया।
एएसपी ठाकुर चन्द्रशील ने बताया कि सीएमएचओ कार्यालय टोंक में कार्यरत बजरंगलाल चौधरी ने 14 मई 2018 को कोटा एसीबी में शिकायत दी थी कि उसका बेटा अनिल चौधरी टोंक जिला क्षय अधिकारी कार्यालय में जिला कार्यक्रम समन्वयक (संविदा आरएनटीसीपी) के पद पर सितम्बर 2015 में तैनात हुआ था। जिसे कुछ समय बाद नौकरी से हटा दिया। उच्च न्यायालय के स्टे पर उसने जुलाई 2016 में एक बार फिर ज्वॉइन किया तथा मई 2017 तक करीब दस माह कार्यालय में कार्य किया, जिसके वेतन का भुगतान तत्कालीन सीएमएचओ गोकुललाल मीणा ने रोक दिया।
पांच बार किया सत्यापन

एसीबी कोटा ने सीएमएचओ को ट्रेप करने की पांच बार कोशिश की, लेकिन उसने हर बार काम होने पर रिश्वत लेने की बात कही। ऐसे में पांच बार सत्यापन हुआ। इस आधार पर एसीबी ने उसके खिलाफ रिश्वत की मांग के सबूत जुटाए। सबूतों के आधार पर एसीबी के मुख्यालय में डीजी से मामला दर्ज करने का अनुरोध किया था। इस मामले में मंगलवार को मुख्यालय से मामला दर्ज करने का आदेश प्राप्त हो गया।
कब कब किया सत्यापन

बूंदी तबादला होने के बाद भी 25 जुलाई को सीएमएचओ गोकुललाल मीणा ने बजरंगलाल को फोन कर 26 जुलाई को रुपए लेने आने को कहा, लेकिन 25 जुलाई को टोंक में नए सीएमएचओ सुरेश कुमार भंडारी ने ज्वाइन कर लिया। 26 जुलाई को एसीबी कोटा की पूरी टीम सीएमएचओ को ट्रेप करने बूंदी पहुंची। जहां सीएमएचओ ने परिवादी बजरंगलाल के सामने जिला क्षय चिकित्सालय के चिकित्साधिकारी को चेक जारी करने के आदेश दिए, लेकिन क्षय अधिकारी ने चेक जारी नहीं किया। इस पर उसने बजरंगलाल को कहा कि मैंने ऐसा इंतजाम कर दिया है कि तबादले के बावजूद मुझे बुलवाकर बैक डेट में हस्ताक्षर करवाने ही होंगे। इससे पहले भी एसीबी ने 14 व 15 मई और 11 जून को सीएमएचओ को ट्रेप करने की कोशिश की, लेकिन उसने काम होने बाद रिश्वत लेने की बात कही।
अफसरों के आदेश नहीं माने
संविदाकर्मी को वेतन देने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक जयपुर, संयुक्त निदेशक अजमेर ने भी बकाया वेतन के भुगतान के निर्देश दिए थे, लेकिन सीएमएचओ ने वेतन के बिल अटकाए रखे। 2 मई को टोंक जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में भी जिला कलक्टर ने संविदाकर्मी अनिल चौधरी को राशि जारी करने का निर्णय ले लिया गया था, लेकिन चेक जारी नहीं किया गया।
चिकित्साधिकारी ने भुगतान के लिए मांगा था मार्गदर्शन

दिसम्बर 2016 में टोंक के तत्कालीन क्षय चिकित्साधिकारी ने संविदाकर्मी के बकाया वेतन के भुगतान के लिए मानदेय के चेक पर हस्ताक्षर कर दिए थे, लेकिन सीएमचओ द्वारा चेक पर हस्ताक्षर नहीं करने के मामले में मार्गदर्शन मांगा था।

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