कोटा . मोदी सरकार का अंतिम बजट पूरी तरह खेत किसान पर आधारित रहा। मोदी देश को डिजिटल इंडिया की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं दिखा। अन्य वर्गों के लोगों को बजट में कोई खास राहत नहीं दी गई। बजट पर ‘पत्रिका’ ने शहर के दो परिवारों से चर्चा की तो उन्होंने बजट को लेकर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं दी।
रस्सेवट परिवार, तलवंडी गृहिणी अलिशा का कहना है कि सोलर सिस्टम पर 18 फीसदी जीएसटी था, इसे करमुक्त करना अच्छा है। लेकिन, सेस बढ़ाने से टीवी, मोबाइल महंगे हो जाएंगे। कैसे डिजिटल इंडिया का सपना साकार होगा।
राजपाल का कहना है कि मेडिकल इंश्योरेंस की छूट 30 से बढ़ाकर 50 हजार करना अच्छा है। किसी भी केटेगरी में टेक्स लिमिट नहीं बढ़ाई गई। गृहिणी दीपा का कहना है कि एक प्रतिशत सेस बढ़ाने से साबुन, तेल, शैम्पू, विभिन्न प्रकार के बिल महंगे हो जाएंगे। डीजल-पेट्रोल के दाम सस्ते होने की उम्मीद है। वहीं 3 करोड़ महिलाओं को गैस कनेक्शन देने की घोषणा अच्छी है।
विनोद का कहना है कि पूरे बजट को रूरल डवलपमेंट व एग्रो बेस रखा है। रियल एस्टेट का कहीं नामों निशान नहीं। जबकि सबसे ज्यादा टैक्स और रोजगार बिल्डर, रियल एस्टेट, कॉलोनाइजर देते हैं।
युवा वरुण का कहना है कि मोदी सरकार ने पहले तो 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कही, बाद में एक करोड़ पर आ गए और बजट में 70 लाख लोगों को रोजगार देने की घोषणा की।
व्याख्याता हर्षा शर्मा का कहना है कि नए कर्मचारियों के ईपीएफ में 12 फीसदी हिस्सा राशि जमा कराना कर्मचारियों के हित में है। वन कंट्री-वन एज्यूकेशन सिस्टम लागू हो, निजी स्कूलों पर लगाम कसे, सरकारी स्कूलों के लिए अलग से बजट हो।
व्यवसायी पंकज शर्मा का कहना है कि सेस 3 से 4 फीसदी करने से सभी उत्पादों के सर्विस टैक्स, चार्जेज महंगे हो जाएंगे। भार उपभोक्ता पर पडऩा तय है। जो कम्पनियां साझेदारी में बिजनेस कर रही, उनको आयकर में छूट का कोई प्रावधान नहीं किया गया।
रिटा. इंजीनियर विजय कुमार शर्मा का कहना है कि पूरा बजट एग्रो बेस है। 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने की अभी से ही शुरूआत कर दी है। रिटायर्ड कर्मचारियों को मंशानुरूप राहत नहीं दी। बैंक, डाकघर से मिलने वाले 50 हजार तक के ब्याज को कर मुक्त किया है, वह राहत भरा है।